जनपद में केवल 134 निजी एंबुलेंस का पंजीकरण
जागरण संवाददाता इटावा जनपद में विभिन्न अस्पतालों तथा सामाजिक संस्थाओं से संबद्ध महज 134 निजी एंब
जागरण संवाददाता, इटावा : जनपद में विभिन्न अस्पतालों तथा सामाजिक संस्थाओं से संबद्ध महज 134 निजी एंबुलेंसों का पंजीकरण हैं जबकि धरातल पर जिला अस्पताल और यूएमएस सैफई के आसपास तीन गुना अधिक दौड़ रही है। एंबुलेंस होने से चेकिग अभियान का इन पर कोई असर नहीं होता है। इसी का फायदा उठाकर एंबुलेंस संचालक नियमों की धज्जियां उड़ाकर मनमानी कर रहे हैं।
सहायक संभागीय परिवहन विभाग से जानकारी की गई तब यह हकीकत सामने आई। सही मायनों में करीब 150 से अधिक निजी एंबुलेंस सैफई यूएमएस के पास बनाए सेंटर पर नजर आती है। 60-70 एंबुलेंस शहर में जिला अस्पताल के पास सड़क पर किनारे खड़ी नजर आती है। इनके अलावा शहर व उसके आसपास कई प्रख्यात निजी नर्सिंग होम तथा सामाजिक संस्थाओं की एंबुलेंस हैं। एंबुलेंस संचालन में जिला और सैफई यूएमएस के कुछ कर्मी भी शामिल हैं। इससे अधिकांश संचालक दोनों अस्पतालों पर अपना वर्चस्व कायम किए हुए हैं। अस्पताल की इमरजेंसी तथा वार्डों में इनकी इसकदर पहुंच है कि वार्ड या इमरजेंसी से रेफर होने वालों रोगियों की जानकारी फोन पर मिल जाती है। यहीं से सौदेबाजी शुरू हो जाती है, इस नेटवर्क कई लोग शामिल हैं।
कमीशनखोरी का व्यापक खेल
कोरोना महामारी के दूसरी तीव्र लहर में असहाय रोगियों व उनके तीमारदारों की मजबूरी का फायदा उठाने से मानवता के दुश्मन बने एंबुलेंस संचालक किराया कई गुना वसूलने तक सीमित नहीं है बल्कि आगरा, कानपुर के निजी अस्पतालों में रोगियों को पहुंचाने पर वहां अस्पताल संचालक से कमीशन भी वसूल करते हैं।
नियमों की उड़ाते धज्जियां
एंबुलेंस में नीली बत्ती तथा हूटर लगाने की अनुमति है। एंबुलेंस में मरीज होने पर इनका प्रयोग किया जाता है लेकिन अधिकांश संचालक एंबुलेंस खाली होने पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए हूटर बजाते हुए सड़कों पर फर्राटा भरते हैं। इसके अलावा और भी कई संगीन मामलों को लेकर एंबुलेंस संचालक शक के दायरे में आए लेकिन एंबुलेंस होने से सहानुभूति की पात्र होने का फायदा उठा रहे हैं।
पुलिस देखकर क्यों भागा
सैफई में मजबूरी का फायदा उठाते हुए कानपुर तक का 70 हजार रुपये किराया मांगने वाला एंबुलेंस संचालक मारीज की मौत के बाद पुलिस से शिकायत होने पर पुलिस के आने पर भागकर गायब क्यों हो गया। इससे स्पष्ट है कि उसने मजबूरी का फायदा उठाते हुए किराया अधिक मांगा था।
निजी एंबुलेंस संचालकों को यातायात नियमों का पालन करना होगा, रोगियों को शीघ्रता से अस्पताल पहुंचाने के तहत सहानुभूति बरती जाने से चेकिग नहीं होती है। अब सभी एंबुलेंस चेक कराई जाएगी जिनकी फिटनेस या अन्य खामियां होंगी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बृजेश कुमार सिंह
एआरटीओ