पौधों से मिलती है जीवनरक्षक ऑक्सीजन, दवाएं व फल

जागरण संवाददाता इटावा पौधों से हम सबको जीवन रक्षक ऑक्सीजन तो फ्री में मिलती ही है । इसके

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 05:56 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 08:54 PM (IST)
पौधों से मिलती है जीवनरक्षक ऑक्सीजन, दवाएं व फल
पौधों से मिलती है जीवनरक्षक ऑक्सीजन, दवाएं व फल

जागरण संवाददाता, इटावा : पौधों से हम सबको जीवन रक्षक ऑक्सीजन तो फ्री में मिलती ही है । इसके साथ दवाएं व फल भी मिलते हैं। जब बुजुर्गाें से पौधरोपण की अहमियत की सीख मिली तो पौधरोपण का संकल्प लेकर जुट गए। दैनिक जागरण ने इटावा शहर, इकदिल, महेवा, लखना में पौधारोपण को लेकर लोगों से बातचीत की तो सभी का यह कहना था कि पौधरोपण तो सहज है लेकिन उनकी रक्षा करना किसी संतान के पालन पोषण से कम नहीं है। 20 लोगों से बातचीत में आधे लोग पौधारोपण पहले से कर रहे थे। जबकि आधे लोगों ने कहा कि वे पौधारोपण भविष्य में जरूर करेंगे।

मेरी पसंद का सबसे प्रिय पौधा सहजन का है। इसे लोग मुनगे के पौधे के रूप में जानते हैं। इसके पौधे से एक नहीं अनगिनत फायदे हैं। यह कुपोषण दूर करने में महत्वपूर्ण माना जाता है। निर्मल सिंह पौधे लगाने की प्रेरणा बाबा गोपीनाथ व पिता राम प्रताप से मिली अब उनकी प्रेरणा से खेतों पर तथा खाली जगह पर अनेक तरह के फलदार पौधे लगाकर उनको संरक्षित करने लगा हूं। विवेक कुमार, संगावली औषधि पौधे तमाम तरह की बीमारियों में काम आते हैं। पहले जानकारी के अभाव में इससे दूर था, लेकिन अब तो जहां भी खाली जगह देखता हूं। फलदार पौधे रोप कर उनकी देखभाल करने लगा हूं। दिनेश कुमार शाक्य, सुल्तानपुर कला पौधे हमारे लिए कुदरत का वरदान हैं। यह प्रदूषण को कम करते हैं। पौधारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहता है। स्वस्थ पर्यावरण मानव जीवन के लिए सुखद व आवश्यक है। यासीन अंसारी, शिक्षक व कवि आलमपुरा हमने अपने गांव के पांच सार्वजनिक स्थानों पर पौधरोपण किया है। गर्मियों में जब राहगीर मेरे लगाए गए वृक्ष के नीचे छाया लेने के लिए बैठता है तो मन प्रसन्न होता है। पर्यावरण संरक्षण व इसे बढ़ावा देने के लिए हर समाज में पौधारोपण को रिवाज के रूप में शुरू करने की पहल होनी चाहिए।

गोविद यादव, बकेवर हमने अपने जीवन काल में 11 फलदार पौधों का रोपण किया है। जो अब वृक्ष बन चुके हैं। इन वृक्षों के फल जब बच्चे खाते हैं तो मन को शांति व सुख की अनुभूति होती है। हम सभी का दायित्व है कि वृक्षों की सुरक्षा व पौधारोपण में बढ़चढ़कर सहभागिता करें।

राजू चतुर्वेदी, चंद्रपुराशाला बकेवर एक वृक्ष 100 पुत्रों के समान, इस वाक्य को आत्मसात करते हुए मैंने पेड़ों की रक्षा का संकल्प लिया है। जैसे एक पिता अपने पुत्र की रक्षा करता है मैं आजीवन अपने पेड़ों की सुरक्षा करूंगा। इसके लिए किसानों व रिश्तेदारों को भी प्रेरित करता रहता हूं।

करुणा शंकर त्रिपाठी, गौतमपुरा मैं जब किसी भी पेड़ को कटते हुए देखता हूं तो मुझे अच्छा नहीं लगता। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है। इस सूत्र को मैंने पढ़ाई के समय ही जान लिया था। मेरे लिए पौधा लगाना व उसको जीवित रखना एक शौक है।

श्याम प्रकाश त्रिपाठी, दाउदपुर मेरे पिता जी पंडित जय नारायण त्रिपाठी कहा करते थे जब तक धरती पर वृक्ष बचे रहेंगे तब तक हमारी सांसें चलती रहेंगी। हमें इसके लिए पेड़ पौधों की रक्षा व नव रोपण आदि की ओर प्राथमिक स्तर पर ध्यान देना चाहिए।

अनिल कुमार, नगला खादर

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