डीएपी की कमी नहीं, कालाबाजारी का खेल
जागरण संवाददाता इटावा जनपद में डीएपी खाद की कतई किल्लत नहीं है। सोमवार को सहकारी सि
जागरण संवाददाता, इटावा : जनपद में डीएपी खाद की कतई किल्लत नहीं है। सोमवार को सहकारी समितियों और निजी दुकानों पर 56 हजार डीएपी बैग स्टाक में हैं जबकि 28 हजार बैग और आ रहा है। कालाबाजारी का खेल होने को लेकर किल्लत का रोना रोया जा रहा है।
उप कृषि निदेशक प्रसार अभिनंदन सिंह ने बताया कि जनपद में डीएपी खाद की कमी नहीं है, किसानों की आवश्यकता से अधिक स्टाक उपलब्ध है। कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुरूप आलू के लिए प्रति एकड़ दो बैग तथा सरसों के लिए प्रति एकड़ एक बैग डीएपी का प्रयोग करना चाहिए। इस क्षेत्र के अधिकतर किसान एक एकड़ में दो की बजाए पांच बैग डीएपी प्रयोग कर रहे हैं। जनपद को स्टाक कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुरूप मिल रहा है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में डीएपी प्रति बैग 1200 रुपयें में किसानों को दी जा रही है। जबकि मध्य प्रदेश में डीएपी 1700 रुपये प्रति बैग किसानों को दी जा रही है। इससे मध्यप्रदेश की सीमा से जुड़े किसान चकरनगर, सहसों और लखना-बकेवर से खाद खरीद रहे हैं। खाद की कालाबाजारी न हो इसके लिए अनवरत छापामार कार्रवाई जारी है। कई दुकानों के लाइसेंस निलंबित करके कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है। इस अभियान को और अधिक गतिमान किया जाएगा। खाद की कृत्रिम कमी और कालाबाजारी किसी को नहीं करने दी जाएगी।
डीएपी के जगह अन्य विकल्प
उप निदेशक कृषि का कहना है कि डीएपी की जगह किसान सिगल सुपर फास्ट तथा एनपीके का प्रयोग कर सकते हैं। यह दोनों उर्वरक डीएपी खाद की भांति ही कार्य करते हैं। एनपीके डीएपी की तुलना थोड़ी ज्यादा महंगी है।
सरकारी बीज पर अनुदान
उप निदेशक कृषि का कहना हर ब्लाक स्तर पर राजकीय बीज भंडार पर बीज उपलब्ध हैं। सरकारी बीज लेने वाले लघु सीमांत किसानों को बीज पर अनुदान मिलता हेै। इसके साथ ही गुणवत्ता मानक के अनुरूप होती है।