देव दीपावली पर जगमगाया नीलकंठ मंदिर

जागरण संवाददाता इटावा कार्तिक मास की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली देव दीपावली पर शहर में

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 10:06 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 10:06 PM (IST)
देव दीपावली पर जगमगाया नीलकंठ मंदिर
देव दीपावली पर जगमगाया नीलकंठ मंदिर

जागरण संवाददाता, इटावा : कार्तिक मास की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली देव दीपावली पर शहर में भगवान भोलेनाथ का सिद्ध स्थल माने जाने वाले नीलकंठ मंदिर हजारों दीपों से जगमगा गया तथा इस अवसर पर भगवान नीलकंठ महादेवजी का भव्य श्रृंगार ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इससे उत्साहित भक्तों ने जमकर आतिशबाजी चलाकर वातावरण देवमय कर दिया। मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश वाजपेयी ने बताया कि इस बार चतुर्दशी तिथि दो दिन की हो जाने के कारण भक्तगणों ने मंदिर में बीते शनिवार व रविवार की शाम दोनों दिनों हजारों की संख्या में देवताओं के सम्मान में दीप प्रज्वलित किए। विशेषकर मंदिर परिसर में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण की मूर्ति के समक्ष बहुत ही भक्तिभाव से भक्तों ने दीप दान कर भोग अर्पित किया। बताते चले कि इसी पर्व दिवस पर बीते सन 2005 में ब्रह्मलीन नेपाली बाबा की मूर्ति की स्थापना भी मंदिर में की गई थी जिसका स्थापना दिवस भी खूब उत्साह के साथ हर वर्ष मनाया जाता है। उनके परम शिष्य और मंदिर के महंत स्वामीजी महाराज ने मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया जबकि राजीव कुमार मिश्रा ने प्रसाद का वितरण किया।

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डिभौली घाट पर लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई

संवादसूत्र, बकेवर : कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर डिभौली यमुना नदी पर लोगों ने सुबह से आस्था की डुबकी लगाई, वहीं लखना स्थित भोगनीपुर नहर में पानी न आने के कारण लोगों में कोई खास उत्साह नहीं दिखा। इसके अलावा महासिंहपुरा नहर पुल पर लगने वाले मेले पर भी कोरोना संक्रमण का असर देखने को मिला। वहीं महिलाओं ने अपने घरों में तुलसी पूजन करके पर्व मनाया। कार्तिक पूर्णिमा को लोगों के द्वारा सुबह के समय स्नान करके तुलसी की पूजा की जाती है। इसमें महिलाओं के द्वारा सुबह से ही पूजा अर्चना करने का काम किया जाता है। दाउदपुर, सब्दलपुर, टकरुपुर, मड़ैया दिलीप नगर पठा, अंदावा, पुरावली हटिया, कछपुरा में सुबह ही लोगों ने जल्दी उठकर मोक्षदायिनी यमुना नदी में आस्था की डुबकी लगाई। लखना स्थित भोगनीपुर नहर में पानी न आने के चलते लोगों को अपने घरों में ही नहा धोकर पूजा अर्चना करनी पड़ी। महिलाओं के द्वारा अपने घरों में तुलसी पूजा की गयी। कार्तिक पूर्णिमा को अपने ही घरों में परिवार के साथ स्नान किया गया।

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