मौसम से फसलों को सुरक्षित रखने के करें उपाय
जागरण संवाददाता, इटावा : मौसम की मार से रबी की फसलों का बचाव करने के लिए किसान कृषि वै
जागरण संवाददाता, इटावा : मौसम की मार से रबी की फसलों का बचाव करने के लिए किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक उपाय करें। इससे फसल तो सुरक्षित होगी ही साथ उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी। प्रगतिशील किसान कृषि विज्ञान केंद्र तथा ब्लाक स्तर पर कृषि अधिकारियों से विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
जनपद में रबी की फसल में गेहूं का करीब 95 हजार हेक्टयर भूमि में उत्पादन किया जाता है जबकि आलू 17 से 18 हजार हेक्टयर में होता है। इसी के साथ सरसों-राई, दलहन व सब्जियों की फसल भी ली जाती है। बीते पखवारे से मौसम में थोड़े-थोड़े अंतराल पर बदलाव हो रहा है। दिन में तेज धूप तथा शाम होते ही ओस तेजी से पड़ रही है। कोहरा या धुंध भी छा जाती है। ऐसे मौसम में सभी फसलों को थोड़ी सावधानी और सजगता बरतने से सुरक्षित रखा जा सकता है।
कैसे करें फसलों का बचाव
गेहूं की बोआई ने जिन किसानों ने देरी से दिसंबर के दूसरे पखवारे में की है उन किसानों बोआई के 20 से 25 दिन के अंदर पहली ¨सचाई करनी चाहिए, इसके पश्चात 40 से 45 किग्रा यूरिया का प्रति एकड़ के मुताबिक प्रयोग करें। तीसरी ¨सचाई के बाद जल विलेय उवर्रक एनपीके का प्रयोग करें। सरसों-राई की फसल में फली भरने के दौरान ¨सचाई अवश्य करें। आल्टरनेरिया ब्लाइट यानी पत्ते पीले होने पर 2 किग्रा मैंकोजेब प्रति हेक्टयर 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। चना की फसल में फूल आने से पहले खुटाई अवश्य करें इससे शाखाओं और फलियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। नमी कम होने पर फूल आने से पूर्व हल्की ¨सचाई अवश्य करें। फली छेदक नियंत्रण के लिए डाईक्लोरोवास की 500 मिलीलीटर मात्रा का प्रति हेक्टयर छिड़काव करें। आलू की पिछैती फसल को झुलसा से बचाने के लिए दो किग्रा इण्डोफिल एम- 45 या मैंकोजेब को 800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टयर 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।
फसलें सुरक्षित होंगी
उप कृषि निदेशक डॉ. एके ¨सह का कहना है कि मौसम से जिस प्रकार वातावरण प्रभावित है उससे फसलों की सुरक्षा बेहद आवश्यक है। किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुरूप फसलों को तैयार करना चाहिए। इससे फसल तो सुरक्षित रहेगी ही साथ ही उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी।