गुरु कभी नहीं छोड़ते अपने शिष्य का हाथ

जागरण संवाददाता इटावा शिष्य को गुरू का हाथ नहीं पकड़ना चाहिए बल्कि गुरू को अपना हाथ प

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 05:09 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 03:08 AM (IST)
गुरु कभी नहीं छोड़ते 
अपने शिष्य का हाथ
गुरु कभी नहीं छोड़ते अपने शिष्य का हाथ

जागरण संवाददाता, इटावा :

शिष्य को गुरु का हाथ नहीं पकड़ना चाहिए बल्कि गुरु को अपना हाथ पकड़ाना चाहिए क्योंकि मुश्किल समय में शिष्य गुरु का हाथ छोड़ सकते हैं लेकिन गुरु हमारा हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे।

यह उद्गार त्रिद्विवसीय जन्मभूमि दिव्य पावन वर्षायोग कार्यक्रम के अंतिम दिन आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज ने अपने 21 वें पावन वर्षायोग कलश की स्थापना करने के उपरांत श्रद्धालुओं को प्रवचन श्रवण कराने के दौरान प्रकट किए। उन्होंने कहा कि इटावा हमेशा ही संतों की नगरी रही है मेरा जन्म भी इसी की धरा पर हुआ है। 2021 में हमारा 21वां चातुर्मास भी आचार्य पद के रूप में पहली बार यहां हो रहा है इसलिए यह धरती और पावन हो जाती है। आचार्यश्री अपने ससंघ सहित यहां प्रवास करते हुए मंगल कलश के समक्ष साधना करेगें।

कार्यक्रम का शुभारंभ जाबरा, कोलकाता, मेरठ से आए गुरू भक्तों ने आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज के चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। युवती मंडल द्वारा मंगलाचरण के बाद छोटे-छोटे बच्चों ने सांस्कृतिक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य आंनद जैन कोलकाता, गुरु पूजन अश्विन जैन दाहोद को मिला। जबकि दिल्ली से आए पवन कुमार जैन ने शास्त्र भेंट किया। आरती करने का सौभाग्य जितेन्द्र जैन, सरिता जैन कोठारी को प्राप्त हुआ। पं. शाशिकांत शास्त्री द्वारा वर्षायोग कलश की बोलियां की गईं। प्रसपा प्रदेश उपाध्यक्ष रघुराज सिंह शाक्य, प्रवक्ता सीमा शाक्य, कृष्ण मुरारी गुप्ता, सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव, पूर्व सांसद प्रेमदास कठेरिया, आशीष राजपूत ने आचार्यश्री को नारियल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। जिनका वर्षायोग समिति के अध्यक्ष संजू जैन ठेकेदार, आनन्द जैन, राजू जैन, गुड्डू जैन एवं अन्य पदाधिकारियों ने स्वागत किया।

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