मां-बेटे को गोली मारने वालों को उम्रकैद की सजा
जागरण संवाददाता इटावा साढ़े आठ साल पूर्व घर में चारपाई पर लेटे मां-बेटे को गोली मार
जागरण संवाददाता, इटावा : साढ़े आठ साल पूर्व घर में चारपाई पर लेटे मां-बेटे को गोली मारकर मरणासन्न करने के दो आरोपितों को विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट अवधेश कुमार ने दोषी माना। दोनों को आजीवन कारावास तथा 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।
विशेष शासकीय अधिवक्ता रमाकांत चतुर्वेंदी ने बताया कि थाना लवेदी क्षेत्र के गांव विधिपुरा निवासी मनमोहन नट 12 मई 2013 को गांव से काफी दूर बैंड बजाने गया था। घर पर उसकी पत्नी चंद्रावती अपने 10 वर्षीय पुत्र विजय के साथ घर पर चारपाई पर लेटी हुई थी। आधी रात के लगभग इसी गांव के शिवकुमार पुत्र रामदयाल तथा लालजी पुत्र लखपति घर पर आ धमके, दोनों ने जातिसूचक अशोभनीय भाषा में असलहों से गोली मारकर मां-बेटे को मरणासन्न कर दिया। जिससे दोनों चीख-पुकार मचाते हुए बेहोश हो गए। फायरिग की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके की ओर दौड़े तो दोनों असलहा लहराते हुए भागकर गायब हो गए। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस आई जिससे बेहोश रक्तरंजित मां-बेटे को जिला अस्पताल ले जाया गया। हालत नाजुक होने पर यूएमएस सैफई भर्ती कराया गया। निरंतर उपचार जारी रहने पर पांचवे दिन चंद्रावती को होश आया तब उसने घटना बयां की जिसके आधार पर 17 मई 2013 को थाना लवेदी में उपरोक्त दोनों के खिलाफ दलित उत्पीड़न-जानलेवा हमला का मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस ने विवेचना करके साक्ष्य जुटाकर दोनों के खिलाफ आरोपपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था। आरोपितों के अधिवक्ता ने साक्ष्यों को संदेहजनक करने का भरपूर प्रयास किया लेकिन शासकीय अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए सटीक साक्ष्य सजा के सबब बन गए। इस निर्णय से अपराधियों में कानून का भय व्याप्त हुआ है।