कार्तिक पूर्णिमा : पचनद में लगी आस्था की डुबकी
सवांद सहयोगी चकरनगर कोरोना वायरस के भय से ऐतिहासिक महाकाल कालेश्वर मंदिर के समीप प
सवांद सहयोगी चकरनगर : कोरोना वायरस के भय से ऐतिहासिक महाकाल कालेश्वर मंदिर के समीप प्रवाहित पांच नदियों के संगम पचनद में कार्तिक पूर्णिमा पर काफी कम संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। बीते कई सालों की जबरदस्त भीड़ की तुलना में श्रद्धालु करीब पांच फीसद ही आए। इससे चारों ओर मेलानुमा माहौल नजर नहीं आया। स्नान पर्व के उपरांत अविवाहित किशोरियों, महिलाओं, साधु-संतों सहित अन्य श्रद्धालुओं ने शिवलिग पर बेलपत्र चढ़ाकर जलाभिषेक करके मन्नतें मांगी। महाकाल मंदिर के समीप प्रवाहित यमुना, चंबल, क्वारी, सिध व पहूच पांच नदियों के संगम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर क्षेत्र से पहुंचे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। इस मौके पर दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने रात्रि 12 बजे से स्नानकर शिव लिग पर बेलपत्र चढ़ाकर जलाभिषेक किया। किशोरियों ने सुंदर वर की आकांक्षा में, महिलाओं ने पति की दीर्घायु की बाबा से मन्नत मांगी। स्नान पर्व पर इस वर्ष जनपद के पड़ोसी मध्य प्रदेश के अलावा अन्य दूर शहरों से कोविड-19 महामारी के भय के चलते श्रद्धालु नहीं पहुंचे। सीएचसी अधीक्षक डॉ. अवधेश द्वारा मेडिकल कैंप लगाया गया। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आम जनता की सुरक्षा के लिए मोटरवोट एवं पुलिस फोर्स की समुचित व्यवस्था की गई।
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डिभौली घाट पर लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई
संवादसूत्र, बकेवर : कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर डिभौली यमुना नदी पर लोगों ने सुबह से आस्था की डुबकी लगाई, वहीं लखना स्थित भोगनीपुर नहर में पानी न आने के कारण लोगों में कोई खास उत्साह नहीं दिखा। इसके अलावा महासिंहपुरा नहर पुल पर लगने वाले मेले पर भी कोरोना संक्रमण का असर देखने को मिला। वहीं महिलाओं ने अपने घरों में तुलसी पूजन करके पर्व मनाया। कार्तिक पूर्णिमा को लोगों के द्वारा सुबह के समय स्नान करके तुलसी की पूजा की जाती है। इसमें महिलाओं के द्वारा सुबह से ही पूजा अर्चना करने का काम किया जाता है। दाउदपुर, सब्दलपुर, टकरुपुर, मड़ैया दिलीप नगर पठा, अंदावा, पुरावली हटिया, कछपुरा में सुबह ही लोगों ने जल्दी उठकर मोक्षदायिनी यमुना नदी में आस्था की डुबकी लगाई। लखना स्थित भोगनीपुर नहर में पानी न आने के चलते लोगों को अपने घरों में ही नहा धोकर पूजा अर्चना करनी पड़ी। महिलाओं के द्वारा अपने घरों में तुलसी पूजा की गयी। कार्तिक पूर्णिमा को अपने ही घरों में परिवार के साथ स्नान किया गया।