भगीरथ प्रयास हो तो तालाबों में भरेगा लबालब पानी
मनोज तिवारी बकेवर ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य जलस्त्रोत तालाब लगातार सिमटते जा रहे हैं। जहां त
मनोज तिवारी, बकेवर
ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य जलस्त्रोत तालाब लगातार सिमटते जा रहे हैं। जहां तालाब हैं, वहां पानी की जगह ऊंची-ऊंची झाड़ियां, गंदगी और अतिक्रमण के साथ ऊंची-ऊंची बिल्डिग नजर आती हैं। यदि इन तालाबों पर ध्यान देकर अतिक्रमण मुक्त किए जाएं तो यह जल संचयन का मुख्य स्त्रोत बन सकते हैं। बड़े भूभाग में फैले इन तालाबों में जल संचयन से चारों ओर हरियाली भी फैलाई जा सकती है।
महेवा विकास खंड के अधिकतर तालाबों में धूल उड़ रही है या अतिक्रमण अथवा गंदगी के शिकार हैं। यदि जिम्मेदार लोग भागीरथी प्रयास करें तो इन तालाबों में लबालब पानी होने के साथ इनके किनारों पर हरियाली ही हरियाली नजर आएगी।
ग्राम जैतपुरा निवासी राहुल शुक्ला बताते हैं कि यहां के तालाब व पोखर ही बारिश के पानी को संरक्षित रखते थे, जिससे भूजल स्तर सदैव बना रहता था। पर इन दिनों ज्यादातर तालाबों व पोखरों में खेत व बांध की मिट्टी और कूडा डालकर उसे भर दिया गया है। इसकी वजह से भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।
नगला शिव सिंह निवासी राघवेंद्र बताते हैं कि उनके गांव का तालाब एक दशक पूर्व पानी से लबालब रहता था। चरवाहे अपने पशुओं को पानी पिलाते थे। वर्तमान में यह तालाब सूखा है।
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तालाबों में साफ-सफाई और जलभराव का कार्य ब्लाक स्तर पर चलाया जा रहा है। यदि तालाब पर कब्जा या अतिक्रमण की शिकायत आती है तो कब्जादारों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ तालाब कब्जा मुक्त कराया जाएगा।
हेम सिंह, उपजिलाधिकारी केस 1
महेवा विकास खंड के गांव जैतपुरा में लगभग पांच बीघा में प्राचीन तालाब है। कब्जे और अतिक्रमण ते तालाब का रकबा सिमट गया है। तालाब में ऊंची-ऊंची झाड़ियां खड़ी हैं। गांव के लोग कूड़ा-कचरा डालकर इसको पाट रहे हैं। अतिक्रमण से बारिश के पानी का संचय नहीं हो पा रहा है। मनरेगा से तालाब की सफाई धरातल पर न होकर महज कागजों तक सीमित रही। केस 2
ग्राम पंचायत दाऊदपुर सब्दलपुर के मजरा सारंगपुरा के तालाब के एक चौथाई भाग पर गांव के ही एक दबंग ने कब्जा कर रातों रात मकान खड़ा कर दिया है। कब्जे की शुरुआत तालाब की जमीन पर मिट्टी डालकर झोपड़ी डालने से हुई थी। ग्रामीणों ने कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत की, लेखपाल को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए। लेखपाल ने मामले पर लीपापोती कर दी। केस 3
ग्राम पंचायत असदपुर के तहत लखना-चकरनगर मार्ग के किनारे तालाब का अस्तित्व संकट में है। तालाब की साफ-सफाई के नाम पर अब तक जितना सरकारी धन खर्च हुआ, ग्रामीण बताते हैं कि उतने धन से तकरीबन पांच अन्य तालाबों का निर्माण हो सकता था। तालाब में सिर्फ वर्षाकाल में ही पानी देखा जा सकता है, शेष दिनों में यह तालाब स्वयं प्यासा रहता है। केस 4
नगला शिवसिंह गांव का तालाब सूख चुका है। तालाब का जुड़ाव भोगनीपुर नहर से था, मगर लोगों ने नाली तोड़ दी जिससे तालाब तक पानी नहीं पंहुच पाता है। चारवाहे पशुओं को इसी तालाब में पानी पिलाने व नहलाने के लिए लाते थे। अब इसमें एक दशक से धूल उड़ रही है। ग्रामीणों ने श्रमदान कर जल संचयन के प्रयास किए लेकिन कारगर नहीं हो सके। केस 5
लखना-चकरनगर मार्ग पर ग्राम सब्दलपुर के तालाब पानी न होने की वजह से मवेशियों को पानी तक नसीब नहीं हो पाता है। संरक्षण न किए जाने की वजह से जल संकट गहराया हुआ है। लोगों का कहना है कि यदि इस तालाब की चारों ओर से खोदाई हो जाए, तो तालाब किसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए वरदान साबित होगा।