25 घंटे की बारिश से किसानों को भारी नुकसान
जागरण संवाददाता इटावा रविवार शाम से लगातार हो रही बारिश 25 घंटे के बाद सोमवार की
जागरण संवाददाता, इटावा : रविवार शाम से लगातार हो रही बारिश 25 घंटे के बाद सोमवार की रात को थमी तो धान के किसानों का भारी नुकसान कर गई। जनपद में कुल 86 एमएम बारिश रिकार्ड की गई है। धान किसानों की 50 से लेकर 80 फीसद फसल बर्बादी के कगार पर है। कृषि विभाग ने इसका आकलन शुरू कर दिया है।
उपनिदेशक कृषि अभिनंदन सिंह ने बताया कि बारिश से हुए नुकसान के आकलन के लिए उनकी अगुवाई में चार सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। जिसमें उपनिदेशक शोध, भूमि संरक्षण अधिकारी प्रमोद कुमार, जौनई फार्म के अधीक्षक सुनहरी लाल शामिल हैं। टीम ने मंगलवार को जौनई फार्म का निरीक्षण किया और धान की फसल में हुए नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने धान की फसल लेट बोई थी उनका नुकसान कम हुआ है। जिन्होंने पहले बो दी थी उनका नुकसान 50 से 80 फीसद तक माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि धान की फसल बारिश के कारण खेतों में बिछ गई है। किसान जब फसल काटेगा तो इसका 30 फीसद दाना झड़ जाएगा। पकी हुई फसल खेतों में जमीदोज हो गई है।
जनपद में 52 हजार हेक्टेयर में धान की फसल इस वर्ष रोपी गई है। उन्होंने बताया कि नुकसान का आकलन किया जाएगा। उसके बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शासन से जैसे निर्देश होंगे उनके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। धूप निकली तो लोगों ने ली राहत
मंगलवार को सुबह 10 बजे धूप निकलने से लोगों ने राहत ली। हालांकि सुबह से ही तेज ठंडी हवा चल रही थी। अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। आलू की बोआई के लिए आफत बनी बारिश मानसून का समय बीत जाने के बाद खेतों में कटाई मढ़ाई के लिए तैयार हो रही धान की फसल के लिए बारिश मुसीबत बनकर आई है, वहीं यह बारिश आलू की बोआई के लिए देरी का कारण भी बनेगी। मानसूनी बारिश सितंबर के दूसरे सप्ताह तक विदा हो जाती थी अब अक्टूबर में बारिश होने से किसान परेशान है। खेत खलिहान से जुड़े अजय सिंह कुशवाहा का कहना है कि आलू की बोआई व सर्दी के मौसम में तैयार होने वाली सब्जियों के लिए यह बारिश संकट पैदा कर सकती है।
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खेतों में सड़ने लगी धान की फसल,आलू की बोआई रुकी
संवाद सूत्र, महेवा : विकासखंड क्षेत्र के कस्बा एवं ग्रामीण अंचलों में बेमौसम की बारिश ने अब किसानों को तबाही के मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस समय न तो तिलहनी फसलों की बोआई हो पा रही है और न ही आलू की बोआई ही हो पा रही है। इसके अलावा धान की फसल भी बुरी तरह से चौपट हो रही है। लगातार हो रही जबरदस्त बारिश ने किसानों को यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिर विधाता उनके साथ ऐसा क्रूर मजाक क्यों कर रहा है। 2 दिन से लगातार हो रही बारिश ने जहां किसानों के सामने तबाही लाकर खड़ी कर दी है। उनकी मेहनत की कमाई धान की फसल जलमग्न दिख रही है। उधर अन्य तिलहनी और आलू जेपी फसलें लेट होने लगी हैं। आखिर किसान अपने को कैसे आर्थिक रूप से मजबूत कर पाएगा। जब कि मौसम की बारिश या कभी ओलावृष्टि उसे तबाह करते रहेंगे। लगातार बारिश ने जहां किसानों को फिर सोचने को मजबूर कर दिया है कि शायद विधाता उनसे रूठा हुआ है। सरकार चाहे जितने प्रयास कर ले लेकिन शायद प्रकृति उनका साथ नहीं दे रही है। इसलिए बेमौसम की बारिश तबाही का कारण बन रही है। धान की फसल की कटाई होकर जो खेत में पड़ी है वह फसल सड़ने की कगार पर है। तेज बारिश के बाद तेज हवाओं ने धान की फसल को खेतों में बिछा दिया है। जिससे उनका दाना पानी में सड़ने जैसे हालातों का सामना कर रहा है। अगर यही हालात कुछ दिनों और चले तो धान की फसल पूरी तरह से चौपट हो जाएगी और किसान रोने को मजबूर होगा।