सीबीएसई हाईस्कूल में बालिकाओं ने बाजी मारी

जासं इटावा कोरोना काल में पूरा सत्र डिस्टर्ब रहने के बाद बिन परीक्षा का सीबीएसई हाईस्कू

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 07:10 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 07:10 PM (IST)
सीबीएसई हाईस्कूल में बालिकाओं ने बाजी मारी
सीबीएसई हाईस्कूल में बालिकाओं ने बाजी मारी

जासं, इटावा : कोरोना काल में पूरा सत्र डिस्टर्ब रहने के बाद बिन परीक्षा का सीबीएसई हाईस्कूल परिणाम आया तो अंकों की बारिश से विद्यार्थी भीग गए। उनकी खुशियां आसमान जा चढ़ी। अधिकांश विद्यालयों में बालिकाएं बालकों को पीछे धकेल टॉपर बनीं। बोर्ड ने हाईस्कूल परिणाम के लिए जो फार्मूला निकाला, उसके मुताबिक 10 प्रतिशत अंक यूनिक टेस्ट, 30 प्रतिशत अंक अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा, 40 प्रतिशत अंक प्री बोर्ड और 20 प्रतिशत अंक आंतरिक मूल्यांकन के शामिल किए गए। आंतरिक मूल्यांकन में प्रोजेक्ट, मॉडल चार्ट, उपस्थिति, व्यावहारिक गतिविधियों को देखा गया। जो बच्चे स्कूल में परीक्षा की प्रतीक्षा में रहे और प्री बोर्ड को गंभीरता से नहीं लिया, ऐसे कई बच्चों को परिणाम से निराशा हुई है। इस परिणाम से यह साबित हो गया कि परीक्षा कोई भी, सफलता के लिए काफी मायने रखती है। अब ऐसे असंतुष्ट बच्चों के लिए बोर्ड की तरफ 16 अगस्त से 15 सितंबर तक दोबारा एक से लेकर सभी विषयों में परीक्षा देने का अवसर दिया जाएगा। तिथियां जल्द घोषित किए जाने की संभावना है। हाईस्कूल में कदम रखने से पहले कोरोना ने दस्तक दे दी थी। पढ़ाई का पूरा तरीका बदल गया। कक्षाओं में चंद महीने ही पढ़ाई हो सकी, उसमें भी कोरोना का डर हावी रहा। प्री बोर्ड दिए और परीक्षा की तैयारियों को परखा गया, लेकिन इस बीच कोरोना की दूसरी लहर से परीक्षा पर असमंजसता के बादल छा गए। स्कूल बंद हो गए। परीक्षा को लेकर कभी हां तो कभी ना के बीच आखिरकर चार मई से प्रस्तावित परीक्षा को रद कर दिया गया। परीक्षा के बिना परिणाम के नाम से विद्यार्थियों की धड़कनें बढ़ गईं। महीनों तक चली उलझनों के बाद मंगलवार को जब परिणाम जारी हुआ तो ज्यादातर के चेहरे खिल उठे। हालांकि कुछ छात्रों को उम्मीद के अनुसार परिणाम न आने की टीस भी रही। उनको इस बात का मलाल था कि प्री बोर्ड को गंभीरता से न लेने की वजह से मा‌र्क्स परसेंटेज लुढ़क गया। उनके इस प्रदर्शन से अभिभावक भी नाखुश और तनाव में थे। बहरहाल, बिन परीक्षा के जनपद के लगभग समस्त विद्यालयों का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। इनमें उन्हीं विद्यालयों को बेहतर प्रदर्शन रहा, जिनके विद्यार्थी पूर्व के वर्षों में भी परिणाम के पटल पर दमकते रहे हैं।

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