कारतूस विहीन बंदूक से रखवाली कर रहे वनकर्मी
संवादसूत्र बकेवर लखना वन रेंज क्षेत्र के जंगल में बेशकीमती वन संपत्ति है और वन्य जीव भी लेकि
संवादसूत्र, बकेवर : लखना वन रेंज क्षेत्र के जंगल में बेशकीमती वन संपत्ति है और वन्य जीव भी, लेकिन रखवाली के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न कर्मचारी। नतीजा ये है कि वन कर्मी बिना गाड़ी व कारतूस विहीन बंदूक से जंगल की रखवाली कर रहे हैं। ऐसे में आए दिन जंगल में लकड़ी चोरी की घटनाएं हो रही हैं। माफियाओं के हौसले बुलंद हैं, इसके बावजूद कर्मी जान जोखिम में डालकर वन संपदा की सुरक्षा में लगे हैं। कई वर्ष से नहीं मिले कारतूस रेंज कार्यालय पर महज दो ही वन संपदा की रक्षा के लिए शस्त्र हैं जिसमें एक रायफल व एक डबल बैरल जो कि काफी पुरानी हैं। वन कर्मियों को कई वर्षों से कारतूस तक नहीं मिले। पुराने कारतूस तीन वर्ष से अधिक का समय बीतने के कारण खराब हो चुके हैं। यहां तक की सफाई न होने से शस्त्रों में भी जंक लग चुकी है। वाहन की अनुपलब्धता रेंज का क्षेत्रफल तकरीबन 35 किलोमीटर लंबा है ऐसी स्थित में वन संपदा की सुरक्षा के लिए वाहन भी आवश्यक है लेकिन सरकार ने अब तक वाहन उपलब्ध नहीं कराया, जिसके चलते वन कर्मचारियों को जंगल की सुरक्षा के लिए पैदल ही गश्त करना पड़ता है। शीशम-देशी बबूल सबसे अधिक वन विभाग के जंगल में शीशम, देशी बबूल व ज्यूलीफिलौरा के पेड़ सबसे अधिक हैं। यमुना पट्टी में सबसे ज्यादा वन संपत्ति हैं। इसमें लेफर्ड, बारहसिघा, मोर, हिरन आदि पशु-पक्षी भी हैं। वन क्षेत्राधिकारी विवेकानंद दुबे ने बताया कि कर्मचारियों की कमी से जंगल की रखवाली में दिक्कत तो आ रही है लेकिन पूरी सतर्कता से निगरानी कराई जा रही है। संसाधन व मैनपावर की कमी से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।