सैफई में आपाधापी कम, सभी को मिलने लगा इलाज

संवाद सहयोगी सैफई निराशा का दौर खत्म हो रहा है कोविड-19 मरीजों में लगातार कमी आ र

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 06:24 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 06:24 PM (IST)
सैफई में आपाधापी कम, सभी को मिलने लगा इलाज
सैफई में आपाधापी कम, सभी को मिलने लगा इलाज

संवाद सहयोगी, सैफई : निराशा का दौर खत्म हो रहा है कोविड-19 मरीजों में लगातार कमी आ रही है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में इलाज कराना मुश्किल था, न बेड मिल रहे थे न दवा न ऑक्सीजन धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। आपाधापी का दौर समाप्त हो रहा है। नतीजा अस्पताल में अब कोविड-19 के अलावा अन्य बीमारी से ग्रसित मरीज भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। शनिवार को कोई कुत्ता काटने पर इंजेक्शन लगवाने पहुंचा तो कोई मधुमेह की दवा लेने पहुंचा। मैनपुरी निवासी रामा देवी को मधुमेह और बीपी की समस्या थी। पहले टेली मेडिसन के माध्यम से चिकित्सकों से जानकारी ली और शनिवार को जांच के बाद उन्हें दवा दी गई। फर्रुखाबाद निवासी गयादीन को उनके बेटे मोटरसाइकिल से लेकर आए थे। उन्हें फेफड़ों में दिक्कत थी, बिना किसी आपाधापी के सबसे पहले इमरजेंसी ट्रामा सेंटर में मरीज का पर्चा बनवाया गया और 17 नंबर काउंटर पर चिकित्सकों ने मरीज को देखकर इलाज किया। इसका सीधा श्रेय विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर डॉ. रमाकांत यादव को जा रहा है। मालूम हो कि 9 मई को चार्ज संभालने के बाद कुलपति प्रो. डॉ. रमाकांत यादव लगातार अपनी टीम के साथ सुबह शाम दोनों ही टाइम विश्वविद्यालय के हर एक वार्ड में जाकर राउंड कर रहे हैं और मरीजों से स्वयं मिलकर उनकी समस्याओं को हल कर रहे हैं। उन्होंने पहले दिन ही यह निर्देश दिए थे कि एक भी मरीज बगैर इलाज लिए विश्वविद्यालय से लौटना नहीं चाहिए। इसी कड़ी में उनकी टीम लगातार काम कर रही थी। जिस का रिजल्ट सिर्फ 5 दिन के अंदर ही दिखाई दे रहा है। जहां विश्वविद्यालय में पहले मरीजों को बेड फुल होने के कारण लौटना पड़ रहा था और ऑक्सीजन की किल्लत से लोग जूझ रहे थे, वह सारी समस्याएं लगातार हल हो रही हैं। सफाई कर्मचारियों के चेहरे पर आई खुशी चिकित्सा विश्वविद्यालय में करीब 350 सफाई कर्मचारी ठेकेदार के माध्यम से कार्यरत हैं। पिछले दिनों में उनको हर महीने की वेतन लेने के लिए विश्वविद्यालय में हड़ताल करनी पड़ती थी। उसके बाद वेतन मिलती थी। पहली बार पिछले दो महीनों की रुकी हुई वेतन को कार्यवाहक कुलपति के नेतृत्व में बगैर हड़ताल किए कर्मचारियों के खाते में डाली गई है और ठेकेदार को हिदायत दी गई है कि महीने की आखिरी तारीख तक समय अनुसार कर्मचारियों को वेतन वितरित कर दिया जाए, नहीं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

chat bot
आपका साथी