महंगी हुई कन्वर्जन कास्ट, कैसे खिलाएं मिड-डे मील

संवादसूत्र बकेवर कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए मिड-डे मील बनाने में लगने वाली लागत (

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 03:53 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 03:53 PM (IST)
महंगी हुई कन्वर्जन कास्ट, कैसे खिलाएं मिड-डे मील
महंगी हुई कन्वर्जन कास्ट, कैसे खिलाएं मिड-डे मील

संवादसूत्र, बकेवर : कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए मिड-डे मील बनाने में लगने वाली लागत (कन्वर्जन कास्ट) का अब तक निर्धारण न होने से शिक्षक परेशान हैं। पुरानी लागत दरों पर मिड-डे मील तैयार करना बड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार हर साल अप्रैल में कन्वर्जन कास्ट या परिवर्तन लागत का निर्धारण कर देती है। लेकिन कोरोना काल में अब तक नई दरें तय नहीं हो सकी हैं। बाजार में मिर्च-मसाला एक साल में काफी महंगा हो गया है तो दूध का भाव गांव में ही 50 रुपये लीटर हो चुका है। गैस सिलिडर भी 900 रुपये से अधिक हो चुका है। सरसों का तेल बंद बोतल में 180 रुपये लीटर मिल रहा है, लेकिन बेसिक के बच्चों को आज भी गुरुजी पुरानी दरों पर ही दोपहर का भोजन करा रहे हैं। दो साल में ये हुई बढ़ोत्तरी

वर्ष 2017 में प्राइमरी स्कूल में प्रति छात्र एमडीएम कास्ट 4.35 रुपये और जूनियर हाईस्कूल में 6.51 रुपये थी। सरकार ने अप्रैल में नया सत्र चालू होने के बाद एमडीएम कास्ट में मामूली वृद्धि की। इसमें प्राइमरी के प्रति छात्र के लिए 13 पैसे का इजाफा कर इसे 4.48 रुपये कर दिया, जबकि जूनियर में 20 पैसे का इजाफा कर 6.71 रुपये कर दिया। कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद रहने के दौरान बीते साल यह कास्ट 4.97 रुपये और जूनियर के लिए 7.45 रुपये कर दी गई थी। इस साल नहीं हुई बढ़ोत्तरी

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के मंडल महामंत्री संजय त्रिपाठी बताते हैं कि इस साल सितंबर से स्कूल खोले गए हैं। बच्चों को शिक्षण के लिए बुलाया जाने लगा है। बंद स्कूल के दौरान एमडीएम कास्ट तो खातों में गई, लेकिन अब स्कूल संचालन के दौरान बीते साल तय कास्ट से बच्चों को एमटीएम परोसा जा रहा है। जूनियर के विद्यार्थियों को बीते साल की कास्ट पर ही एमडीएम दिया जा रहा है। बुधवार को मीठा दूध भी पिलाने के आदेश हैं। सरकार को कास्ट बढ़ानी चाहिए। 'कन्वर्जन कास्ट में इजाफा करने का काम शासन का है। हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। कम हो या ज्यादा, शासन का आदेश स्वीकार्य है।'

दीपक अवस्थी, खंड शिक्षाधिकारी महेवा

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