परिग्रह सबसे बड़ा पाप व आ¨कचन्य सबसे बड़ा धर्म
जागरण संवाददाता, इटावा : दिगंबर जैन धर्मावलंबियों का दसलक्षण महापर्व दिगंबर जैन मंदिर सरायशे
जागरण संवाददाता, इटावा : दिगंबर जैन धर्मावलंबियों का दसलक्षण महापर्व दिगंबर जैन मंदिर सरायशे़ख में बड़े उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है। सुबह 5:30 बजे से मंदिर मे दसधर्म में से नौवे अ¨कचन धर्म की पूजा, अभिषेक, शांति धारा, विधान बड़ी भक्ति संगीत पूर्वक किया गया। पूजा में मुख्य रूप से जय प्रकाश जैन, विमल जैन, रमेश जैन आदि लोग मौजूद रहे। मंदिर प्रांगण में हो रही सामायिक आरती में खचाखच भरे हॉल में बच्चों के लिए वन मिनट प्रतियोगिता का एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें समाज के छोटे-छोटे बच्चों ने अपनी पूरी ऊर्जा के साथ कार्यक्रम में भाग लिया। निर्णायक मंडल की भूमिका समाज की ही श्रेष्ठी, शशी जैन, ऋतु जैन एवं राकेश जैन ने निभाई। धर्मसभा में मुख्य रूप से उपस्थित नीरज जैन ने अ¨कचन धर्म पर प्रकाश डालते हुए बताया कि परिग्रह सबसे बड़ा पाप है और आ¨कचन्य सबसे बड़ा धर्म है। गृहस्थों को परिग्रह में एक निश्चय परिमाण रखना चाहिए और उत्तम आ¨कचन्य की ओर लक्ष्य रख उसे प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। युवाओं का नेतृत्व कर रहे संदीप जैन ने कहा जो मेरा है वह कैसे छूट सकता है, जो छूट सकता है वह मेरा कैसे हो सकता है। हमें व्यवहार में ऐसा विचार करते रहना चाहिए जिससे परिग्रह की नश्वरता का ध्यान बना रहे।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे रजत जैन ने कहा कि जिस व्यक्ति ने अंदर बाहर 24 प्रकार के परिग्रहों का त्याग कर दिया है, वो ही परम समाधि अर्थात मोक्ष सुख पाने का हकदार है। समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत जैन ने आये हुए सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जैन, सीमा जैन, कल्पना जैन, नीरू जैन, सुमन जैन, सोनू जैन, बृजेश जैन, तृप्ति जैन, गीतांशु जैन, मोनू जैन, निखिल जैन, अजीत जैन, ¨रकू जैन, सुमित जैन, राहुल जैन आदि समाज के युवा मौजूद रहे।