खून की तस्करी में गिरफ्तार ब्लड बैंक का इंचार्ज निलंबित

संवाद सहयोगी सैफई (इटावा) खून की तस्करी के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) लखनऊ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 06:45 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 06:45 PM (IST)
खून की तस्करी में गिरफ्तार ब्लड बैंक का इंचार्ज निलंबित
खून की तस्करी में गिरफ्तार ब्लड बैंक का इंचार्ज निलंबित

संवाद सहयोगी, सैफई (इटावा) : खून की तस्करी के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) लखनऊ द्वारा गिरफ्तार किए गए उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक प्रभारी डा. अभय प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।

कुलपति प्रो. डा. रमाकांत यादव ने बताया कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार को बैठक करके डा. अभय को निलंबित कर उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। विश्वविद्यालय के डीन आलोक कुमार की अध्यक्षता में जांच कमेटी ब्लड बैंक का आडिट कर उसकी गतिविधियों का पता लगाएगी। जल्द जांच रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 से डा. अभय विश्वविद्यालय में कार्यरत है। उसके खिलाफ पूर्व में बिना बताए गैर हाजिर रहने की जांच चल रही है। एसटीएफ के द्वारा पकड़े जाने की जानकारी अभी तक विश्वविद्यालय को लिखित रूप से नहीं मिली है। उल्लेखनीय है कि डा. अभय प्रताप को गुरुवार को लखनऊ में एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने 26 अक्टूबर 2018 को अवैध तरीके से मानव रक्त निकालकर उसमें मिलावट के बाद दोगुना कर बेचने वाले गिरोह को पकड़ा था। अभय के तार उसी से जुड़े मिले हैं। 2017 में एमबीबीएस छात्र की मां को नहीं दिया था खून, हुआ था हंगामा

उप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र दिग्विजय सिंह की मां मनीषा देवी के बीमार होने पर उन्हें यहां भर्ती कराया गया था। उन्हें खून की जरूरत पर तत्कालीन कुलपति टी. प्रभाकर ने दो यूनिट ब्लड देने का आदेश दिया था। जब एमबीबीएस छात्र दिग्विजय अपने साथियों के साथ ब्लड बैंक पहुंचा तो ड्यूटी पर तैनात डा. अभय ने खून देने से इन्कार कर अभद्रता की थी। इसके अगले ही दिन छात्र की मां की मौत हो गई थी। इससे गुस्साए छात्रों ने 15 सितंबर 2017 को ब्लड बैंक में तोड़फोड़ कर डा. अभय के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। घंटों हंगामा व बवाल हुआ था। कुलपति को घेर लिया था। प्रशासनिक भवन कार्यालय से लेकर बाकी जगहों पर भी तोड़फोड़ की थी। कुलपति ने किसी तरह खुद को कमरे में बंद कर जान बचाई थी। छात्रों ने उनके घर पर पथराव कर कार भी पलट दी थी। इस पूरे घटनाक्रम की वजह डा. अभय था, लेकिन उसे उच्चाधिकारियों ने बचा लिया गया था। छात्र खुश, बोले-पहले ही जाना चाहिए था जेल

शुक्रवार को जब विश्वविद्यालय के एमबीबीएस छात्रों को डा. अभय की गिरफ्तारी का पता चला तो वह खुश नजर आए। कह कि उसे बहुत पहले जेल में होना चाहिए था। विश्वविद्यालय के अधिकारी उसे बचाते रहे। उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

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