बाबा के लगाए पौधों से समृद्ध हो रहा पौत्र का परिवार

मनोज तिवारी बकेवर पेड़ पर्यावरण के लिए संजीवनी ही नहीं हैं बल्कि ये मानवीय रिश्ते में

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 06:15 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 07:13 PM (IST)
बाबा के लगाए पौधों से समृद्ध हो रहा पौत्र का परिवार
बाबा के लगाए पौधों से समृद्ध हो रहा पौत्र का परिवार

मनोज तिवारी, बकेवर पेड़ पर्यावरण के लिए संजीवनी ही नहीं हैं बल्कि ये मानवीय रिश्ते में मिठास घोलते हैं। इनमें पुरखों का स्नेह और आशीर्वाद की शीतलता भी मिलती है। कई परिवार ऐसे हैं जिनमें पुरखों द्वारा लगाए गए पेड़ उनके परिवार का हिस्सा तक बन चुके हैं। दादा-दादी द्वारा लगाए गए पेड़ों को पोता-पोती सींच रहे हैं। बकेवर कस्बे में ऐसे ही परिवार लोगों के लिए नजीर बने हुए हैं। बाबा द्वारा रोपित पौधे वृक्ष बनकर पोतों की समृद्धि की बगिया महकाने का काम कर रहे हैं। बकेवर निवासी रिषी शुक्ला उर्फ राजन के अनुसार लगभग 48 साल पूर्व उनके बाबा ने एक हेक्टेयर भूमि में आंवला, बेर, अमरुद के पेड़ लगाए थे। उस पौधशाला को दादा ने बेहद मेहनत से सींचा था। एक पौधा टूट जाए तो रोना आता था। इसका ख्याल पूरा परिवार रखता है। वह कहते हैं कि जब भी हम उन वृक्षों के नीचे बैठते हैं तो बाबा की यादें ताजा हो जाती हैं। हर एक वृक्ष हमारे परिवार की कहानी बयां करता है। हम जीवन में इन पेड़ों से जुदा होकर रहने की बात सोच भी नहीं सकते। लखना रोड स्थित शुक्ला उद्यान व कृषि फार्म के स्वामी एवं युवा पर्यावरण प्रेमी ऋषि शुक्ला उर्फ राजन के यहां उनके बाबा व पिताजी के द्वारा रोपित एक हेक्टेयर क्षेत्र में संकर प्रजाति के आम का बगीचा, अमरूद का बगीचा व संकर प्रजाति के बेर का बगीचा है, जिसके साथ बगीचे में आंवला के वृक्ष, बेल के वृक्ष, जामुन, बरगद आदि के पौधे भी बाग में रोपित किये थे जो कि अब पूर्ण विकसित होकर पर्यावरण को शुद्ध करने के साथ ही फल-फूल रहे हैं। इनसे आमदनी भी प्राप्त हो रही है, बाबा स्वर्गीय शिवाजी शुक्ला द्वारा उद्यान फार्म को तैयार किया गया था जिसमें बाबा द्वारा 40 बेर के पौधे, 60 अमरूद के पौधे, बरगद के पौधे, बेल के पौधे, आम के 10 पौधे, आंवला के 5 पौधे लगाकर पेड़ को तैयार करके उद्यान विकसित किया गया। पिता राजू शुक्ला ने भी उद्यान को विकसित किया जिसमें उन्होंने आम की संकर कलमी प्रजाति के दशहरी व चौसा प्रजाति के 14 पौधे, अन्य संकर प्रजाति के तीन आंवला के पौधे, संकर प्रजाति की किस्म कागजी बेल के 4 पौधे उद्यान में रोपित किये थे जो कि पूर्ण विकसित होकर फल व आमदनी दे रहे हैं। बुजुर्गों की विरासत को सहेज कर आगे बढ़ाने का जिम्मा अब ऋषि शुक्ला ने लिया है, जिसके तहत वो उद्यान फार्म की देखभाल के साथ साथ अन्य प्रजाति के अमरूद के पौधे भी तैयार कर रहे हैं। उद्यान की संपूर्ण जिम्मेदारी के साथ समयानुसार सिचाई करना, काट-छांट करके पौधों व पेडों को उचित आकर देना, रोगों व कीटों से रक्षा हेतु कीटनाशकों व अन्य फलत रसायनों का छिड़काव, खाद व उर्वरक, निराई व गुड़ाई करवाना आदि कृषि क्रियाओं को बखूबी कर रहे हैं। ऋषि शुक्ला ने बताया कि एक हेक्टेयर में उद्यान है जो कि अच्छे से फल फूल रहा है, जिसमें प्रतिवर्ष 70000 रुपये तक की आय प्राप्त होती है। अन्य लागत लगभग 10000 रुपये की प्रतिवर्ष व्यय होती है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के बिना जन-जीवन असंभव है, शुद्ध ऑक्सीजन, फल, लकड़ी आदि के साथ ताजे फल जो कि स्वास्थ्य के लिये गुणकारी हैं। पर्यावरण को संरक्षित करने व बिगाड़ने के लिए मानव ही जिम्मेदार है।

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