कोरोना की तीसरी लहर से बचा सकतीं आयुर्वेदिक दवाएं
जागरण संवाददाता इटावा प्राचीन काल से ही अधिकांश भारतीय आयुर्वेद पद्धति को अपनाते चले आ रह
जागरण संवाददाता, इटावा : प्राचीन काल से ही अधिकांश भारतीय आयुर्वेद पद्धति को अपनाते चले आ रहे हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद का विशेष महत्व है और वर्तमान में कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर से बचने को स्वर्ण प्राशन के द्वारा हम सब अपने बच्चों और बड़ों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। विभाग द्वारा आयुष किट का निश्शुल्क वितरण किया जाएगा।
यह जानकारी क्षेत्रीय आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डा. कप्तान सिंह ने देते हुए बताया कि आयुर्वेदिक दवाई बच्चों की रचनात्मक और क्रियात्मक विकृतियों को दूर करेगी। इसका प्रयोग न केवल मंदबुद्धि बच्चों बल्कि गर्भ के अंदर अपरिपक्व शिशु के विकास के लिए भी किया जा सकेगा। आयुर्वेद पद्धति के अनुसार गर्भाधान के समय यह औषधि पाउडर के रूप में महिलाओं को दी जाती है तथा छोटे बच्चों को ड्राप या गोली के रूप में दी जाती है। पुष्य नक्षत्र में विशेष महत्व चिकित्साधिकारी का कहना है कि आयुर्वेद पद्धति में स्वर्ण प्राशन औषधि पुष्य नक्षत्र में ईशान कोण की तरफ मुंह कर देनी चाहिए। इस औषधि से शरीर के प्रत्येक अंग की शक्ति और क्षमता में वृद्धि होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है। किस तरह बनता है स्वर्ण प्राशन डॉ सिंह ने बताया शहद और घी में स्वर्ण भस्म युक्त स्वर्णवर प्राशन का अनुपालन किया जाता है। इसके साथ ही कुछ टॉनिक भी दिए जा सकते हैं जो मेधा शक्ति को बढ़ाते हैं। शोध के अनुसार मस्तिष्क और आंखों के विकास में स्वर्ण प्राशन का विशेष महत्व है। बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता डा. सिंह ने बताया कि स्वर्ण प्राशन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में अनेक प्रकार के विषैले पदार्थों को दूर करता है । सूजन की प्रक्रिया को रोकता है। याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है। हार्ट मसल्स की शक्ति देता है, शरीर में ब्लड सरकुलेशन को भी बढ़ाता है। यह इतना उपयोगी है कि शरीर में कैंसर व अन्य घातक बीमारियों को भी दूर करता है।