असहायों को कम्युनिटी किचन चलाकर अनिल ने दिया सहारा
गौरव डुडेजा इटावा नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी अनिल कुमार लॉक डाउन में दूर दराज
गौरव डुडेजा, इटावा
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी अनिल कुमार लॉक डाउन में दूर दराज शहरों से अपने घर जाने के लिए पैदल चल रहे लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आए। उन्होंने उस कठिन दौर में कम्युनिटी किचन चलाकर असहाय लोगों की दिन रात मदद की। 27 मार्च 2020 को अपने सरकारी आवास में कम्युनिटी किचन की शुरुआत करने के बाद रोजाना 500 लोगों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराना शुरू किया। जो धीरे-धीरे बढ़कर 10 हजार पैकेट तक पहुंच गया। 15 जून तक चली कम्युनिटी किचन में हाईवे से पैदल गुजरने वाले लोगों, रेल व बस से आने वाले लोगों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए गए। लोगों के बीच रहते-रहते वे खुद भी संक्रमित हो गए।
अनिल कुमार ने अभियान की शुरुआत अपने पास से 20 हजार रुपये देने के साथ-साथ तहसीलदार एनराम, समाजसेवी सौम्य वर्मा व टेंट वाले बंटी महेश्वरी से 20-20 हजार रुपये की मदद लेकर कम्युनिटी किचन खोली। उनको देखकर शहर के लोग भी साथ जुड़ गए और मदद करने लगे। तत्कालीन जिलाधिकारी जेबी सिंह ने भी इस अभियान में पूरा साथ दिया। अनिल कुमार बताते हैं कि काम करने वाले हलवाइयों व लेबर ने भी 50-50 रुपये की कटौती की। शुरू में लगभग 500 लोगों के खाने की व्यवस्था की गई। लेकिन जब अन्य प्रदेशों से लोगों का पैदल काफिला आने लगा तो उन्होंने इसको और बढ़ा दिया। यह संख्या बढ़कर 10 हजार तक पहुंच गई। वे बताते हैं कि जो खाना रात में बच जाता था वे उसे अपनी टीम के साथ लेकर रात में 12 बजे नेशनल हाईवे पर जाते थे और वहां से गुजर रहे लोगों को 100 से 200 पैकेट रोजाना बांटते थे। उसके बाद भी खाना बच जाने पर वे बस स्टैंड पर एक फल वाले के यहां खाना रखवा देते थे। वहां पर भी बच जाता था तो अगले दिन सुबह जानवरों को खाना खिलवाया जाता था। इतना ही नहीं वे इन सारी गतिविधियों की खुद मॉनीटरिग करते थे।
पंजाब के दो परिवारों को घर भिजवाया
अनिल कुमार बताते हैं कि चंडीगढ़ के पास जीरकपुर के रहने वाले सुमित खुराना ट्रक में बैठकर गोरखपुर से इटावा उतर गए थे। यहां पर उन्होंने उन्हें 10 दिन तक रखा। उसके पास रुपये नहीं थे उनको 14 हजार 500 रुपये की टैक्सी करके परिजनों से संपर्क कर घर भिजवाया। पंजाब के रहने वाले नकुल तीन भाइयों सहित इटावा आ गए थे। उन्हें शांति कॉलोनी में एक घर में रखकर कई दिन तक भोजन की व्यवस्था कराई। इसके बाद उन्हें अपने साधन से घर भिजवाया।
पिता मुंशीलाल से मिला सेवा का भाव
अनिल कुमार बताते हैं कि उनके पिता मुंशीलाल मैनपुरी के किशनी विधानसभा से छह बार विधायक रहे हैं और एक बार मंत्री भी बने हैं। उनमें सेवा भाव था और लोगों की मदद करते थे। उसी सेवाभाव को उन्होंने ग्रहण कर कोरोना काल में लोगों की मदद की। जिससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिली।