रुपये लेते कानूनगो का वीडियो वायरल, जांच शुरू

अलीगंज तहसील में रिश्वतखोरी का वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद संबंधित

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 05:31 AM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 05:31 AM (IST)
रुपये लेते कानूनगो का वीडियो वायरल, जांच शुरू
रुपये लेते कानूनगो का वीडियो वायरल, जांच शुरू

जागरण संवाददाता, एटा: अलीगंज तहसील में रिश्वतखोरी का वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद संबंधित कर्मचारी को नोटिस जारी कर उसके विरुद्ध जांच शुरू करा दी गई है।

वायरल वीडियो में दिख रहा है कि एक व्यक्ति किसी काम के लिए रजिस्ट्रार कानूनगो कार्यालय में पहुंचा है। फाइल में रुपये रखकर यह फाइल वहां बैठे कानूनगो जयकुमार को दे देता है। कुछ बात कर जयकुमार पहले फाइल से नोट उठाता है और बाद में फाइल देखता है। कानूनगो की इस पूरी करतूत का किसी ने चुपके से वीडियो बना लिया। जिसे इंटरनेट पर वायरल कर दिया। विभिन्न ग्रुप में वीडियो आने के बाद प्रशासन भी हरकत में आया और तुरंत मामले की जांच बैठा दी गई। कर्मचारी के विरुद्ध नोटिस जारी कर दिया गया।

इससे पहले यहां के ब्लाक कार्यालय में रिश्वतखोरी का वीडियो वायरल हो चुका है। ताजा मामले से कई कर्मचारियों में बेचैनी की स्थिति बनी हुई है। वीडियो संज्ञान में आने के बाद संबंधित कानूनगो के विरुद्ध कार्रवाई के तहत नोटिस जारी कर दो दिन में सुबूत सहित जवाब मांगा गया है। मामले की जांच नायब तहसीलदार लक्ष्मीकांत बाजपेयी को सौंपी गई है। जो तीन दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट देंगे। उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

- राजीव पांडेय, एसडीएम अलीगंज आरोप दोष सिद्ध, अदालत ने दिया सुधरने का मौका: ऐसा बहुत कम देखने में आता है कि जब अदालत किसी को दोष सिद्ध करे लेकिन जेल भेजने के बजाए सुधरने का मौका दे। ऐसा ही वाकया एसीजेएम कोर्ट में हुआ। जहां दो आरोपितों के दोषी साबित होने के बाद उन्हें सुधरने का सशर्त अवसर दिया गया।

बागवाला थाने के गांव गढ़ी निवासी विमल कुमार ने 21 मई 2000 को मुकदमा दर्ज कराते हुए गांव के ही मुकेश, वीरपाल और उनके साथियों के खिलाफ 20 मई को पानी के विवाद में खुद व परिजनों से मारपीट करने का आरोप लगाया था। जिसमें उसकी माता रामदुलारी व पिता सियाराम के चोट आईं। अदालत में जब गवाह सुबूत हुए तो मुकेश और वीरपाल का अपराध साबित हुआ। जिसकी सजा पर सुनवाई हुई तो उनके अधिवक्ता ने पहला अपराध होने के नाते परिवीक्षा का लाभ दिए जाने की मांग की। इस पर एसीजेएम मनींद्रपाल सिंह ने उन्हें एक साल की परिवीक्षा पर इस शर्त के साथ छोड़ा कि अगर एक साल के भीतर उनके द्वारा शांति भंग की गयी तो उन्हें सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया जाएगा।

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