दुकानों के आगे सड़कों पर पार्किंग, लगता है जाम
एटा जासं। दुकानों के आगे फुटपाथ या तो वाहनों के अतिरेक से घिरे हैं या फिर दुकानदारों ने अपना सामान रख लिया है। इस कारण पैदल चलने वालों के लिए सिर्फ सड़क ही बचती है जिस पर हर समय वाहन दौड़ते रहते हैं। कभी-कभी बड़े हादसे भी हो जाते हैं। यातायात माह चल रहा है लेकिन इस गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा और बार-बार सड़कों पर जाम लग रहा है। पुलिस प्रशासन अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाता है मगर वे फेल हो जाते हैं।
एटा, जासं। दुकानों के आगे फुटपाथ या तो वाहनों के अतिरेक से घिरे हैं या फिर दुकानदारों ने अपना सामान रख लिया है। इस कारण पैदल चलने वालों के लिए सिर्फ सड़क ही बचती है, जिस पर हर समय वाहन दौड़ते रहते हैं। कभी-कभी बड़े हादसे भी हो जाते हैं। यातायात माह चल रहा है, लेकिन इस गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा और बार-बार सड़कों पर जाम लग रहा है। पुलिस प्रशासन अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाता है, मगर वे फेल हो जाते हैं।
कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं सिर्फ हाईवे पर ही देख लीजिए वहां सड़क किनारे वाहनों की कतार दिखाई दे जाएगी। कहीं मोटरसाइकिलों की भरमार दिखाई देती है तो कहीं डग्गेमार गाड़ियां सड़कें घेरकर खड़ी रहती हैं। रही-सही कसर ई-रिक्शा और ऑटो चालक पूरी कर देते हैं। ठेले खोमचे वाले भी सड़कों के किनारे खड़े रहते हैं। इस अतिक्रमण के कारण सबसे ज्यादा मुसीबत पैदल चलने वाले राहगीरों को उठानी पड़ती है, वे निकल नहीं पाते। कभी-कभी तो यह होता है कि सड़क किनारे वाहन खड़े करने को लेकर लोगों के बीच झगड़े तक हो जाते हैं, क्योंकि यह ऐसा शहर है जहां किसी भी बाजार में वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। जीटी रोड पर रोडवेज बस स्टैंड के आसपास से लेकर अलीगंज चुंगी तक कहीं भी फुटपाथ खाली नहीं दिखाई देंगे। घंटाघर पर तो और बुरा हाल है। सड़क के बीचोंबीच डिवाइडर हैं इसलिए वाहनों को यह अच्छी बात है कि एकल मार्ग मिल जाता है, लेकिन सड़कों के किनारे अगर फुटपाथ खाली हों तो कम से कम जाम नहीं लगेगा। शहर में इसी वर्ष कम से कम एक दर्जन बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा चुका है। अतिक्रमण हटवाकर पुलिस प्रशासन की टीम चली जाती है और फिर से वह जगह आबाद हो जाती है। प्रशासन के पास फुटपाथ खाली कराने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हैं। यातायात माह में भी स्थायी उपाय करने पर कोई जोर नहीं दे रहा और राहगीरों को समस्या से रूबरू होना पड़ रहा है।