धूम धड़ाका न पड़े भारी, सुरक्षा भी है जिम्मेदारी
त्योहार पर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख खुद और अपनों को रखें सुरक्षित रोशनी के बीच बढ़ाएं मेल मिलाप साझा करें खुशियां
जासं, एटा: दीपावली की रात अमावस्या के अंधियारे को असंख्य दीपक की लौ दूर करती हैं। वहीं पटाखे और आतिशबाजी अपनी रोशनी और रंगों से मन की उमंग को व्यक्त करते हैं, लेकिन उत्साह और उमंग के अतिरेक में इस दौरान हुई थोड़ी-सी गलती जिदगी की रोशनी को बुझा सकती है। आपकी दीपावली मंगलमय और सुरक्षित हो, इसके लिए जरूरत है थोड़ी-सी सावधानी की। जरूरत है आपसी मेल मिलाप से त्योहार की खुशियां बांटे। सुरक्षा के लिए जरूरी यह बातें
-भूलकर भी बालकनी से नीचे पटाखे जलाकर नहीं फेंकने चाहिए। वाहनों पर जलते पटाखे फेंकने जैसा मजाक भी नहीं करना चाहिए।
-जलते हुए दीये को ज्वलनशील वस्तु या पटाखों के पास न रखें।
-विद्युत झालरों से घर आंगन सजाते हुए ध्यान रहे कि कहीं विद्युत तार खुले न रह जाएं।
-आतिशबाजी चलाते बच्चों को पटाखों से निश्चित दूरी बनाए रखने के बारे में समझाएं। पटाखों को झुककर न जलाएं।
-पटाखे जलाते समय पानी की बाल्टी अपने पास जरूर रखें।
-नवजात या छोटे बच्चों के आसपास तेज आवाज वाले पटाखे न जलाएं।
-बच्चों को पटाखे जेब में डालकर घूमने न दें।
-कोई पटाखा जलाने पर भी नहीं फूटा हो तो उसे हाथ लगाकर या दोबारा चलाने की कोशिश न करें।
-पटाखे चलाते समय सूती और चुस्त कपड़े पहनें।
-जली हुई फुलझड़ियों को बिजली के तारों पर न फेंकें।
-सकरी गलियों या घरों की छतों पर पटाखे न चलाएं। भूलकर भी खेल-खेल में किसी जानवर, मनुष्य या घास-फूस आदि पर जलता हुआ पटाखा न फेंके।