तीर्थकर महावीर स्वामी के तीनों छत्र तीन लोक के प्रतीक
बड़े जैन मंदिर में चल रहा कल्याण स्त्रोत मंदिर विधान गणाचार्य ने समझाया प्रतिमाओं के छत्रों का महत्व
जासं, एटा: शहर के पुरानी बस्ती स्थित बड़े जैन मंदिर में चल रहे कल्याण स्त्रोत मंदिर विधान में गणाचार्य विराग सागर ने लोगों को प्रतिमाओं पर लगने वाले छत्रों के विधान के बारे में समझाया। तीर्थकर के मस्तक के ऊपर लगने वाले तीन छत्र उनके तीनों लोकों के स्वामी होने के प्रतीक बताए।
गणाचार्य ने बताया कि छत्र लगाने का भी क्रम होता है। पहले सबसे बड़ा, फिर उससे छोटा उसके बाद सबसे छोटा। सबसे बड़ा अधोलोक, मध्य वाला मध्य लोक तथा सबसे छोटा उर्ध्व लोक का प्रतीक होता है। जो इन तीनों लोकों से परे हो गए है। जिन्होंने राग द्वेष व मोह पर विजय प्राप्त कर ली है। वे ही इन छत्रों को लगाने के अधिकारी हो पाते है। इन छत्रों को चढ़ाने का सौभाग्य भी वही व्यक्ति पा सकता है, जो प्रभु के प्रति सच्ची आस्था और समर्पण का भाव रखता है। महामंत्री आनंद जैन, अध्यक्ष सुरेश जैन, पदमचंद्र जैन, विनय जैन, प्रदीप जैन, आलोक जैन, डा. शेलेंद्र जैन, नितिन जैन, बौबी जैन आदि मौजूद थे। रविवार को सुबह होगा अभिषेक व शांतिधारा: अध्यक्ष सुरेश जैन ने बताया कि रविवार को मंदिर में सुबह 6.15 बजे से अभिषेक व शांति धारा विधान के साथ श्रेयांशनाथ भगवान का पूजन कर निर्वाण लाड़ू चढ़ाया जाएगा। इसके साथ उपनयन संस्कार क्रिया होगी।