सड़कों पर दौड़ते खटारा वाहन हादसों का सबब

सड़कों पर दौड़ते खटारा वाहन हादसों का सबब बन रहे हैं। वाहन क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 03:48 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 03:48 AM (IST)
सड़कों पर दौड़ते खटारा वाहन हादसों का सबब
सड़कों पर दौड़ते खटारा वाहन हादसों का सबब

एटा, जागरण संवाददाता : सड़कों पर दौड़ते खटारा वाहन हादसों का सबब बन रहे हैं। वाहन की संचालन अवधि समाप्त हो चुकी, लेकिन फिर भी उन्हें खींचा जा रहा है। लापरवाही तो इस हद तक है कि रिफ्लेक्टर लगवाने की भी जहमत नहीं उठाई जाती।

खटारा वाहनों के नाम पर प्रशासन सबसे ज्यादा चिता स्कूली वाहनों की करता है। एटा जनपद में 278 स्कूली वाहन हैं, जिनमें से 62 वाहनों की फिटनेस अभी भी चेक नहीं हो पाई है। जिन गाड़ियों की फिटनेस चेक की गई वे सभी पास कर दी गईं। इसके अलावा 400 से अधिक कामर्शियल वाहनों की फिटनेस भी चेक की गई। परिवहन विभाग ने इस बार वाहनों की फिटनेस पर अधिक ध्यान दिया और वर्षभर यह प्रक्रिया चलती रही, इसी वर्ष अभियान भी चलाया गया। दौड़ रहे खटारा ई-रिक्शा

------------------

ई-रिक्शा का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता, इसलिए उनका चालान नहीं काटा जा सकता। शहर में 200 से भी अधिक ई-रिक्शा ऐसे हैं जो खटारा स्थिति में हैं फिर भी उनसे सवारियां ढोई जा रही हैं। इनमें बैठने वाला कितना सुरक्षित है इस पर बैठने वालों का भी ध्यान नहीं जाता और वे सफर करते हैं। एक नहीं कई हो चुके हादसे

---------------------

इसी वर्ष सकीट क्षेत्र में ट्राली के साथ जा रहे ट्रैक्टर में अचानक खराबी आई और उसे जब तक चालक रोक पाता, तब तक ट्राली पलट गई, जिसमें एक वृद्ध की मौत हुई। 28 अगस्त 2020 को मारहरा क्षेत्र में खटारा ट्रैक्टर में आग लगी, जिससे चालक मामूली रूप से झुलस गया। इसी तरह के कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन लोग जर्जर वाहन का संचालन करना नहीं छोड़ते, जिसका खामियाजा जान देकर भी उठाना पड़ता है। कई तरह की लापरवाही

-----------------

एटा जनपद में तमाम मोटरसाइकिलें भी ऐसी हैं, जो चलने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्हें जुगाड़ करके दौड़ाया जा रहा है। पूरी गाड़ी हिलती है और कब धोखा दे जाए यह भी चालक जानता है, लेकिन फिर भी उसका उपयोग करना नहीं छोड़ता। सकीट क्षेत्र में 3 जुलाई को दूध लेकर जा रहे एक दूधिया की मौत सड़क दुर्घटना में हुई थी। इस दुर्घटना का कारण यह था कि दूधिया सामने से आ रहे ट्रैक्टर से बचकर साइड से निकलना चाहता था, लेकिन तभी मोटरसाइकिल बंद हो गई और वह ट्राली की चपेट में आ गया। फिटनेस जांच की व्यवस्था परिवहन विभाग में ही

-----------------------------------

वाहन की फिटनेस जांचने की व्यवस्था सिर्फ परिवहन विभाग में ही है। एक्सपर्ट टीम वाहनों के प्रत्येक पुर्जे को चेक करती है और यह भी देखा जाता है कि वाहन कितना चल चुका और संचालन का अंतिम समय कितना है। बिना लाइसेंस के चलाते ट्रैक्टर-ट्राली

-----------------------

ग्रामीण क्षेत्रों में तमाम लोग ऐसे हैं जिनके पास लाइसेंस नहीं हैं और वे ट्रैक्टर-ट्राली को दौड़ा रहे हैं। --------

वाहन स्वामी को चाहिए कि वाहनों की फिटनेस जरूर रखें। समय-समय पर परिवहन विभाग के दफ्तर आकर फिटनेस चेक करानी चाहिए, ताकि सुरक्षित रह सकें। परिवहन विभाग में एक टीम फिटनेस चेक करने के लिए ही बनाई गई है।

- हेमचंद्र गौतम, एआरटीओ प्रशासन

chat bot
आपका साथी