गांव के विकास के लिए रामगोपाल ने बेच दिया अपना कारखाना

सकीट विकास खंड का गांव हैदलपुर विकास के मायने में ऐसी मिसाल है

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 03:00 AM (IST)
गांव के विकास के लिए रामगोपाल ने बेच दिया अपना कारखाना
गांव के विकास के लिए रामगोपाल ने बेच दिया अपना कारखाना

जागरण संवाददाता, एटा : सकीट विकास खंड का गांव हैदलपुर विकास के मायने में ऐसी मिसाल है, जो शायद ही किसी जिले में देखने को मिले। जिस गांव में सरकारी मशीनरी कुछ नहीं कर पाई उस गांव को आज उन्होंने भरपूर सुविधाएं दे रखी हैं। जज्बे के धनी और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाले इस गांव के रामगोपाल दीक्षित प्रधान भी नहीं हैं, फिर भी उन्होंने अपने पैसे से गांव का विकास करा दिया। विकास कराने के लिए उन्होंने अपनी फैक्ट्री बेचकर सारा पैसा गांव के विकास कार्यो में लगा दिया।

रामगोपाल के गांव में कोई पार्क नहीं था। लोग मोर्निंग वाक के लिए नहीं जाते थे, लेकिन अब वहां कम्युनिटी पार्क दिखाई दे रहा है। बच्चे खेलते हैं, बुजुर्ग टहलते हैं, खूब योगा होता है और व्यायाम भी। गांव में श्मशान घाट नहीं था, शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लोग खेतों में अंत्येष्टि करते थे। अब वहां पक्का श्मशान घाट नजर आ रहा है। गांव में शादियां होती हैं लेकिन विवाहघर नहीं था, इसकी भी चिता समाजसेवी ने की और वहां बरातघर बनवा दिया। गांव की मुख्य गलियां कच्ची थीं, वे सीसी नजर आ रहीं हैं। विकास के काम अभी भी चल रहे हैं, ढाई करोड़ से अधिक की धनराशि विकास कार्यों पर खर्च की जा चुकी है। मंडलायुक्त गौरव दयाल भी गांव का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने रामगोपाल के काम की सराहना की थी। जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल ने उन्हें प्रशस्ति पत्र भी दिया है। विकास के लिए बैंक से लोन

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गांव में विकास कार्य कराने के लिए रामगोपाल ने बैंक से 65 लाख रुपये का लोन लिया और सारा पैसा गांव में कराए गए निर्माण कार्यों में खपा दिया। कुछ पैसा फैक्ट्री बेचकर मिला वो भी गांव में ही लगा दिया। जीवनभर की कमाई वे हैदलपुर का कायाकल्प करने के लिए खर्च कर चुके हैं। वे बताते हैं कि उनका प्लास्टिक का सामान बनाने का कारखाना था जो बंद हो गया था, इसके बाद उसे खत्म करने का निर्णय लिया। श्मशान घाट तक मार्ग पक्का कराने में अटका दिया रोड़ा

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रामगोपाल के अंदर एक टीस भी है। उन्होंने बताया कि श्मशान घाट तो बन गया, लेकिन वहां तक जाने वाला रास्ता पूरी तरह पक्का नहीं हो पाया है। हम चाहते हैं कि लोग पक्के रास्ते से होकर अंतिम संस्कार स्थल पर जाएं, लेकिन कुछ लोगों ने रोड़ा अटका दिया है और मुकदमा तक दर्ज करा दिया। सभी अधिकारियों की नजर में यह मामला है। दो मंदिरों का कराया जीर्णोंद्धार

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गांव में शिव और मातारानी के मंदिर हैं। शासन द्वारा मंदिरों का जीर्णोंद्धार कराने के लिए योजना भी संचालित है, लेकिन इस योजना के तहत इन मंदिरों का चयन नहीं हुआ। विकास प्रेमी रामगोपाल ने दोनों मंदिरों का जीर्णोंद्धार कराया है और यह मंदिर अब चमक रहे हैं। इस काम से श्रद्धालु बहुत खुश हैं।

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