आलू के दाम ने तोड़े किसानों के अरमान

खेतों में जगह-जगह आलू के लगे ढेर चेहरों पर मुस्कान लाते रहे। ख

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 03:52 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 03:52 AM (IST)
आलू के दाम ने तोड़े किसानों के अरमान
आलू के दाम ने तोड़े किसानों के अरमान

जागरण संवाददाता, एटा: खेतों में जगह-जगह आलू के लगे ढेर चेहरों पर मुस्कान लाते रहे। खुदाई के संग उत्पादन अच्छा मिलने की खुशी तो थी, लेकिन बाजार मूल्य अब किसानों के अरमान तोड़ रहे हैं। हाल यह है कि खेतों से आलू निकालने के बाद वह असमंजस में है।

पिछले साल आलू की खेती पर मौसम की मार पड़ी फिर भी ऊंचे मूल्य पाने से किसानों को सालभर लाभ रहा। फसल आने के समय ही 1200 रुपये प्रति कुंतल तक आलू हाथों हाथ बिक गया। परिणाम यह रहा कि किसानों ने मुनाफा कमाया और शीतगृह भी इस कारण खाली रह गए। नवंबर 2020 तक किसानों को अच्छे भाव मिले तो इस बार और भी ज्यादा किसानों ने दांव लगाया।

वैसे तो फरवरी की शुरुआत से ही जिले में आलू की खोदाई शुरू हो गई। उस समय फिर भी 800 रुपये कुंतल तक मूल्य रहा। फरवरी के दूसरे पखवाड़े में जैसे-जैसे आलू की खोदाई तेज होती गई वैसे ही मंडियों में मूल्य घट गए। कहने को पिछले साल के सापेक्ष 20 से 25 फीसद उत्पादन मौसम का साथ मिलने से ज्यादा बताया जा रहा है। दूसरी ओर आलू का मूल्य अब 450 से 600 रुपये कुंतल की स्थिति किसानों को रुला रही है। लागत भी निकालना मुश्किल है। असमंजस इस बात का है कि फिलहाल आलू की बिकवाली से घाटा तो भंडारण के बाद भी अच्छे मूल्यों की उम्मीद नहीं। यही वजह है कि किसान अभी आलू भंडारण में भी तेजी नहीं दिखा रहे। खेतों में कई किसान तो मजदूर लगाने के बजाय खुद आलू खोद रहे हैं ताकि लागत ही हाथ लग जाए। भंडारण शुल्क में भी इजाफा:

पिछले साल आलू के अच्छे मूल्य होने के चलते किसानों की रूचि भंडारण में कम रही तो शुल्क 220 रुपया प्रति कुंतल था। इस साल शीतगृह संचालकों ने शुल्क 250 रुपये प्रति कुंतल तय किया है। तमाम किसान इसी कारण अभी भंडारण से हिचक रहे हैं। महीने भर में 15 फीसद भंडारण:

इस साल 12500 हेक्टेयर आलू की फसल हुई। उत्पादन 250 से 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर रहा। फरवरी में सिर्फ 15 फीसद आलू भंडारित हो सका है। शीतगृह संचालक योगेश गोयल बताते हैं कि अभी किसान असमंजस में है, लेकिन सस्ता आलू बेचने के बजाय भंडारण ही विकल्प होगा।

- हर साल ही आलू किसानों को बाजार की स्थिति से परेशानी रहती है। फिलहाल नई फसल का जो मूल्य है उससे लागत भी मुश्किल है। ऐसे में भंडारण करना ही समझ आ रहा है। आलू सस्ता और भंडारण शुल्क बढ़ गया है।

सुशील कुमार

- सरकार किसानों के हित की बात करती है। फिलहाल तो आलू का सस्ता होना किसानों की दुर्गति जैसी है स्थिति है। सरकार को आलू का मूल्य निर्धारित कर खरीद करानी चाहिए।

कौशलेंद्र राघव

- पिछले साल आलू थोड़ा महंगा हुआ तो यह समझा गया कि किसान मालामाल हो गए। फिलहाल तो आलू की खोदाई का ठीक से मन भी नहीं कर रहा है। इस बार कोरोना काल से भी ज्यादा हालत खराब है।

मुकेश बैरागी

- सरकार किसान बिल को लेकर इतना हल्ला करती आ रही है, लेकिन लाभ ही क्या है कि आलू पांच रुपये किलो बिकना भी मुश्किल हो रहा है। नीति तो इस बात की बनेगी आलू महंगा बिके और किसानों को रोना न पड़े।

संतोष जादौन आलू उत्पादन तथा भंडारण की स्थिति

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इस साल आलू उत्पादन रकबा- 12500 हेक्टेयर

अनुमानित आलू उत्पादन -312500 मीट्रिक टन

-जिले में कुल शीतगृह-18

-शीतगृहों की भंडारण क्षमता- 161188 मीट्रिक टन

-एक फरवरी तक हुआ भंडारण- 24182 मीट्रिक टन

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