पंचायतें हों सजग तो हरियाली दिखे हर डग

कई प्रधानों ने दिखाया है पर्यावरण संरक्षण को आइना ईमानदारी से हो लक्ष्य पूर्ति तो फले-फूले ग्रीन बेल्ट

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 05:52 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 05:52 AM (IST)
पंचायतें हों सजग तो हरियाली दिखे हर डग
पंचायतें हों सजग तो हरियाली दिखे हर डग

ग्राम पंचायत सुमौर

अलीगंज तहसील की ग्राम पंचायत सुमौर वैसे तो पहचान की मोहताज नहीं रही। यहां के युवा प्रधान भानु प्रताप सिंह राठौर के कार्यों से पंचायत दो बार माडल पंचायत का खिताब जीत चुकी है। यहां हरियाली के प्रयासों की बात की जाए तो स्कूल, मातृ शिशु कल्याण केंद्र से लेकर मोक्ष धाम सहित अन्य स्थल पेड़ पौधों से भरे किसी का भी ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। पिछले पांच सालों में यहां लक्ष्य से भी 100 गुना अधिक 20 हजार से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। ग्राम पंचायत दहेलिया

जैथरा ब्लाक की इस पंचायत का नजारा तो कई किलोमीटर पहले से ही शुरू होने वाली हरियाली से किसी के भी मन को प्रफुल्लित करता है। पूर्व प्रधान रहे अखिलेश तिवारी के प्रयासों से यहां निर्मित जलाशय और उसके एक किलोमीटर दायरे में हरियाली का ²श्य मनमोहक है। यहां जन सहभागिता सिर्फ पौधे लगाने में ही नहीं बल्कि संरक्षण में भी है कि गांव के लोग पौधों की खुद परवरिश करते हैं। जासं, एटा: पर्यावरण संरक्षण को लेकर यदि ग्राम पंचायत और उसके जिम्मेदार सजग होकर ईमानदारी दिखाएं तो यहां भी हर डगर हरियाली से लबालब हो। हर साल ग्राम पंचायतों को पौधारोपण का लक्ष्य देकर की जाने वाली खानापूर्ति को वास्तविकता का अमलीजामा प्रधान पहना दें तो हर साल सैकड़ों पंचायतें हरियाली की मिसाल बन जाएं। वहीं जिले में कई पंचायतों के प्रधानों द्वारा हरियाली के लिए किए गए प्रयास अन्य पंचायतों के लिए आइना दिखा रहे हैं।

पौधारोपण तो हर साल की होता है और सबसे बड़ा लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में ही दिया जाता रहा है। ग्रामीण पौधारोपण की बात की जाए तो पिछले वर्षो में तमाम प्रधानों और सचिवों पर पौधारोपण की औपचारिकता करते हुए बजट हड़प कर जाने जैसे आरोप लगते रहे हैं, जो प्रधान विकास और जनता के सुख दुख में भागीदार बनने के वादे कर कुर्सी पाते हैं। वह यह भूल जाते हैं कि फर्जीवाड़ा कर वह अपने गांव और जनता का ही बुरा नहीं बल्कि खुद और परिवार की सांसो के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हकीकत में प्रधान जन सहभागिता से पौधारोपण की लक्ष्य पूर्ति भी करें तो गांव में हर ओर छांव तो हो ही वहीं बड़ी ग्रीन बेल्ट वन आच्छादन को बढ़ावा दे।

ऐसा नहीं है कि पौधारोपण के दौरान नकारात्मक स्थिति सभी पंचायतों में हो। युवा और जागरूक प्रधानों ने विकास के साथ अपने क्षेत्रों में हरियाली कर जिले का भी गौरव बढ़ाया है। निधौलीकलां क्षेत्र की ग्राम पंचायत कमसान तथा भदैरा या फिर जैथरा की खवा, सकीट ब्लाक की थरौली सहित दर्जनों पंचायतें हरियाली के मामले में पास हुई हैं। इस बार भी नवनिर्वाचित प्रधान हरियाली के लिए प्रयास करें तो यह साल पर्यावरण संरक्षण के लिए खास हो सकेगा। इस बार भी बड़ा लक्ष्य

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2021 के पौधारोपण में भी ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी अहम है। ग्रामीण विकास विभाग को जहां 10 लाख 65000 पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है। वहीं पंचायती राज विभाग भी सवा लाख पौधे लगाएगा। इसके अलावा कृषि विभाग दो लाख 5000 तथा उद्यान विभाग एक लाख 35 हजार पौधों के रोपण के लिए भी ग्रामीण क्षेत्रों पर ही निर्भर है। निश्चित है कि ईमानदारी से पौधारोपण हो सका तो पंचायतों का नजारा बदलेगा।

- किसी भी क्षेत्र के विकास की पहली सीढ़ी हरियाली होनी चाहिए। अपनी पंचायत में इसी बात को प्राथमिकता देकर कार्य कराया और आज हरियाली की कोई कमी नहीं है। पहले स्वस्थ समाज और फिर शिक्षा के बाद भौतिक विकास होना चाहिए। भानु प्रताप सिंह राठौर, प्रधान

- विकास के नाम पर अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेड़ों का कटान कम नहीं है। पहली बार प्रधान बन कर यह तय किया है कि कोई पेड़ कटेगा तो उससे 10 गुने पेड़ लगाए जाएंगे। गांव के लोगों को जागरूक करने तथा हर घर एक पेड़ लगाने का प्रयास रहेगा। सुरभि सिंह, प्रधान

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