सैकड़ों हेक्टेयर भूमि जलमग्न, फसल हुई तबाह

बाढ़ के हालातों से अवागढ़ क्षेत्र के दर्जनभर गांव प्रभावित नूह रजवाहा के जरिए दूसरे क्षेत्रों से आ रहा पानी बना समस्या

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:30 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:30 AM (IST)
सैकड़ों हेक्टेयर भूमि जलमग्न, फसल हुई तबाह
सैकड़ों हेक्टेयर भूमि जलमग्न, फसल हुई तबाह

जासं, एटा: अवागढ़ विकास खंड क्षेत्र के दर्जनभर गांव स्थानीय बारिश तथा दूसरे क्षेत्रों से पुरानी नहर के जरिए आ रहे पानी के कारण चपेट में हैं। स्थिति यह है कि क्षेत्र में दर्जनभर ग्रामों के अंतर्गत 800 हेक्टेयर से भी ज्यादा कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है। इन हालातों में खरीफ की ज्यादातर फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई हैं। खास बात यह है कि किसान बर्बादी का मंजर अपनी आंखों से देख रहे हैं और अभी तक किसी भी अधिकारी जहां तक कि राजस्वकर्मियों ने भी क्षेत्र का दौरा करने की जहमत नहीं उठाई है।

वैसे तो बारिश जिले में भी लगातार हो रही है, लेकिन अवागढ़ विकास खंड के दर्जनभर गांव में नूह रजवाह से जुड़े नाले के द्वारा बाहरी क्षेत्रों का पानी लगातार आ रहा है। कारण यह है कि क्षेत्र में स्थित पुरानी नहर अस्तित्वविहीन होने के चलते नूह रजवाह की अल्पिकाओं में लगातार पानी का बहाव प्रभावित ग्रामों की ओर है। क्षेत्र के गांव वीरनगर, रुद्रपुर, नगला झम्मन, नगला छइया, गहराना, भूड़ गड्ढा, मोहनपुर आदि गांव इसी कारण बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इतना पानी इस क्षेत्र में है कि वीरनगर के समीप स्थित रेलवे फाटक का होलपास भी पानी भरने के कारण पूरी तरह से बंद है।

पिछले दिनों क्षेत्र के गांव रुद्रपुर में दो बच्चों की मौत भी रजवाह में आ रहे पानी के कारण ही हो चुकी है। संबंधित ग्रामों में धान, मक्का, बाजरा की फसलें जोकि किसानों ने जुलाई के पहले पखवाड़े में बोईं थीं। वह पूरी तरह से बर्बाद हो गइ्र हैं। किसान तबाह होने की स्थिति में पहली बार इस तरह के बाढ़ के कहर से खुद आश्चर्यचकित हैं। अभी तक क्षेत्र में प्रभावित ग्रामीणों तथा किसानों को किसी भी तरह की राहत मिलना तो दूर कोई हाल भी देखने नहीं पहुंचा है। ऐसी स्थिति को लेकर किसानों ने भी प्रशासन के विरुद्ध आक्रोश बना हुआ है। बताया जा रहा है कि नूह नाले से आ रहे पानी को न रोका गया तो क्षेत्र में तबाही का मंजर और बढ़ेगा। सैकड़ों हेक्टेयर जलमग्न हुई जमीन के चलते पशुओं के चारे की विकराल समस्या पशुपालकों के सामने आ गई है। चारा भी खेतों में पानी में डूबा है।

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