मेडिकल कालेज में भर्ती मरीज करा रहे बंगाली से इलाज

मेडिकल कालेज लाइव अव्यवस्थाओं के बीच हो रहा इलाज मरीजों को बाहर से लानी पड़ रहीं दवाएं

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 05:08 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 05:08 AM (IST)
मेडिकल कालेज में भर्ती मरीज करा रहे बंगाली से इलाज
मेडिकल कालेज में भर्ती मरीज करा रहे बंगाली से इलाज

जासं, एटा: साहब, मेडिकल कालेज में बच्चे को भर्ती कराए चार दिन हो गए। दो दिन तक सब कुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में शाम और रात के समय कोई डाक्टर देखने नहीं आए। मजबूर होकर मुझे बच्चे को बंगाली डाक्टर के यहां ले जाना पड़ा। अब उनका ही उपचार चल रहा है। बच्चा पीकू वार्ड में भर्ती है। बुधवार को एक महिला ने जब यह बातें मेडिकल कालेज में बताईं तो व्यवस्था पर सवाल उठ गए।

मेडिकल कालेज की एमसीएच विग के पीकू वार्ड में गांव सेमरा की करिश्मा अपने डेढ़ साल के बच्चे को गोद में लिए बाहर से आती दिखाई दी। इस बच्चे को डिस्चार्ज नहीं किया गया था। महिला सुबह से नहीं थी। उससे पूछा गया कि कहां से आ रही हैं तो बोलीं कि बच्चे को बंगाली डाक्टर को दिखाने गई थीं। यहां इलाज नहीं मिल रहा। यानि बच्चा पीकू वार्ड में भर्ती है और इलाज बाहर के चिकित्सक कर रहे हैं। इस महिला ने बाजार से खरीदकर लाई गई दवा भी दिखाई। तीमारदार के पास दवा है, इस दवा के उपयोग से डाक्टर भी मना नहीं करते। इतना ही नहीं कर्मचारियों में प्रशिक्षण का भी अभाव है। ड्रिप लगाने के लिए अल्ट्राकिट भी बच्चों के नहीं लगा पा रहे। एक बच्चे को इमरजेंसी में सिर्फ इसलिए भेजा गया कि पीकू वार्ड के कर्मचारी उसके किट नहीं लगा पाए। ऐसी ही स्थिति एक और बच्चे अयांश पुत्र कबीर निवासी कुरावली के साथ देखने को मिली। इस बच्चे को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसने प्राइवेट चिकित्सक के यहां उपचार कराया। बाद में इस बच्चे की छुट्टी कर दी गई।

पिता कबीर ने बताया कि शाम के वक्त यहां डाक्टर नहीं मिलते थे इसलिए प्राइवेट चिकित्सक के यहां जाना पड़ा। बाहर की ही दवा चलाई। प्रथम तल पर सिविल वार्ड भी है इसमें अधिकांश बुखार के मरीज हैं। इन्हीं में से मारहरा निवासी प्रीतम सिंह हैं जो चार दिन से भर्ती हैं। उनकी शिकायत है कि उनका खांसी, बुखार ठीक नहीं हो रहा, घबराहट होती है, किसी चिकित्सक या नर्स को बुलाओ तो वे काफी देर तक नहीं आते। रचना को नहीं मिला एक घंटे तक ट्रीटमेंट:

मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में कस्तूरबा विद्यालय की रसोइया रचना को बुधवार को दोपहर के वक्त लाया गया। एक घंटे तक वह इमरजेंसी वार्ड में बेड पर पड़ी रही, लेकिन उनका ट्रीटमेंट शुरू नहीं हो सका, जबकि जांच में पता चला कि उन्हें तेज बुखार था। हालांकि डेंगू नहीं था, फिर भी प्लेटलेट्स 75 हजार रह गईं। परिवार के लोगों ने जब डाक्टरों से कहासुनी की तब उपचार शुरू हो सका। यहां आने वाले हर मरीज का उपचार किया जा रहा है। हम बच्चों को मेडिकल कालेज की ही दवाएं दे रहे हैं।

डा. अंशुल गुप्ता बुखार के जो मरीज भर्ती कराए जा रहे हैं उनका उचित तरीके से उपचार किया जा रहा है, अगर ऐसी कोई शिकायत आती है कि यहां भर्ती मरीज बाहर के डाक्टर से उपचार करा रहा है तो इस मामले को गंभीरतापूर्वक देखा जाएगा और कार्रवाई भी की जाएगी।

- डा. राजेश गुप्ता, प्राचार्य मेडिकल कालेज

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