जिलेभर में सब बंद, बस स्टैंड पर भीड़

बसें नहीं होने के कारण यात्री भटकते रहे। लोग खानपान की चीजों को तरसे। सड़कों पर सन्नाटा परसा रहा लेकिन आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को छूट मिली।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 04:29 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 04:29 AM (IST)
जिलेभर में सब बंद, बस स्टैंड पर भीड़
जिलेभर में सब बंद, बस स्टैंड पर भीड़

जागरण संवाददाता, एटा: साप्ताहिक लाकडाउन (कोरोना क‌र्फ्यू) को लेकर जिलेभर में बाजार बंद रहे। एटा शहर में जीटी रोड सहित सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़ें लोगों को ही निकलने की छूट दी गई, जबकि गली और मुहल्लों में भी सन्नाटा देखा गया। छोटी से छोटी दुकानें भी नहीं खुलीं। लोगों के चेहरों पर कोरोना का भय साफ दिखाई दे रहा था।

शासन ने कोरोना क‌र्फ्यू की घोषणा पहले ही कर दी गई थी। 35 घंटे की बंदी शनिवार शाम 5 बजे से लागू हुई थी, जिसको लेकर पुलिस प्रशासन ने काफी तैयारियां कर रखी थीं। प्रशासन ने क‌र्फ्यू का पालन कराने के लिए पुख्ता बंदोबस्त किए हैं। सुबह के वक्त पुलिस सड़कों पर दिखाई दी। हालांकि दुकानदारों ने स्वयं दुकानें नहीं खोलीं और क‌र्फ्यू का पालन किया। चूंकि रविवार का दिन अवकाश का था इसलिए लोग भी घरों से बाहर नहीं निकले। वहीं, दूसरी तरफ सड़कों पर बाहर से आने वाले लोगों की खासी तादाद दिखाई दी। लोग समूह में चल रहे थे। उनके साथ में छोटे बच्चे भी थे, चूंकि वाहनों की व्यवस्था नहीं थी, इसलिए उन्हें पैदल ही चलना पड़ रहा था। रोडवेज बस स्टैंड पर यात्रियों का बुरा हाल था, वहां बसें नहीं थीं। अधिकांश बसें पंचायत चुनाव में लगा दी गईं, इसलिए बाहर से आने वाले यात्री दिनभर गर्मी में भटकते रहे। बस स्टैंड पर खानपान की व्यवस्था भी नहीं थी, इस वजह से और ज्यादा संकट का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें पानी के लिए भी भटकना पड़ा। बस अड्डे पर प्राइवेट वाहन भी नहीं दिखाई दिए। बहुत से यात्री ओवरब्रिज से लेकर अलीगंज चुंगी तक पैदल जाते दिखे। उनके पास सामान भी था। महिलाओं और बच्चों का बुरा हाल रहा। बेवश एवं लाचार लोगों की सुनने वाला कोई नहीं था क्योंकि अधिकारी और कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में व्यस्त थे। गली-मुहल्लों में सूनापन

जिन गली-मुहल्लों में दिनभर रौनक रहती थी। एक दिन की बंदी ने सब कुछ छीन लिया। लोगों ने बच्चों को घरों से नहीं निकलने दिया और खुद भी नहीं निकले। लोगों के चेहरों पर कोरोना का खौफ साफ दिखाई दे रहा था। पीपल अड्डा पर नगरसैन वाली गली के बाहर दिनभर पेड़ के नीचे चहल-पहल रहती थी। ठेले खोमचे वाले इलाके को घेरे रहते थे, लेकिन रविवार को पूरा इलाका वीरान नजर आया। सब्जी मंडी जहां दिनभर भीड़ उमड़ती थी, वहां दुकानें बंद पड़ी थीं। आवश्यक चीजों की आपूर्ति को लेकर परेशानी

प्रशासन ने आवश्यक चीजों की आपूर्ति को लेकर निर्देश दिए थे कि कोई भी परेशानी लोगों को नहीं होगी, लेकिन यह निर्देश हवा हवाई साबित हुए। रोजमर्रा की चीजों के लिए लोग तरस गए। दूर की आपूर्ति भी ठीक से नहीं हो सकी। गली-मुहल्लों में सब्जी के ठेले वाले भी नजर नहीं आए। एक ठेले वाले का कहना था कि वह अपना ठेला लेकर रेवाड़ी मुहल्ले की ओर आ रहा था तो पुलिसकर्मियों ने उसे खदेड़ दिया था। सवाल यह है कि कोरोना क‌र्फ्यू की घोषणा कर दी गई, लेकिन उससे पहले व्यवस्थाएं क्यों नहीं की गईं। कस्बा और ग्रामीण क्षेत्रों में भी बंद

जनपद के कस्बा और ग्रामीण क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व बंदी रही। लोग घरों से नहीं निकले और उन्होंने क‌र्फ्यू का पालन किया। मारहरा, मिरहची, अवागढ़, निधौलीकलां और राजा का रामपुर, अलीगंज, जैथरा, सकीट, जलेसर आदि स्थानों पर भी बाजार पूरी तरह से बंद रहे। अंत्येष्टि में सिर्फ 20 व्यक्ति शामिल होंगे

कोरोना को लेकर एक और नई गाइड लाइन आई है, जिसमें कहा गया है कि अंतिम संस्कार में सिर्फ 20 लोग ही भाग ले सकेंगे। इसके अलावा उद्योग धंधों में काम करने वाले कर्मचारी बंदी के दिनों में काम करते रहेंगे।

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