जिला अस्पताल में इस साल भी नहीं रैन बसेरा की व्यवस्था

चार लाख रुपये न मिलने के कारण रोगी आश्रय स्थल नहीं हुआ अस्पताल प्रशासन के हैंडओवर बेंच और जमीन पर ठिठुरने को मजबूर तीमारदार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Nov 2020 06:04 AM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 06:04 AM (IST)
जिला अस्पताल में इस साल भी नहीं रैन बसेरा की व्यवस्था
जिला अस्पताल में इस साल भी नहीं रैन बसेरा की व्यवस्था

जागरण संवाददाता, एटा: रात के समय ठंड बढ़ गई है, लेकिन जिला अस्पताल में इस बार भी तीमारदारों के लिए रात में रुकने और ठंड से बचने के इंतजाम नहीं हैं। मेडिकल कालेज के लिए कई वार्ड ध्वस्त हो चुके हैं। यहां अब केवल बर्न और मेडिकल वार्ड ही बचा है। मेडिकल वार्ड को जनरल वार्ड बना दिया गया है। इसमें बेड मरीजों से भरे रहते हैं। इधर, चार लाख रुपये न मिलने के कारण रोगी आश्रय स्थल का भवन अस्पताल प्रशासन के हैंडओवर ही नहीं हुआ है।

अब तक तीमारदारों का समय बेंचों पर कटता रहा, लेकिन ठिठुरन के कारण अब लेटना मुश्किल हो गया है। ऐसे में रात ठिठुरते हुए गुजर रही हैं। कोई ज्यादा परेशान हो जाए तो जमीन पर कपड़ा आदि डालकर लेट जाता है। सबकुछ पता होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने रैन बसेरा की कोई व्यवस्था नहीं कराई है। 16 लाख की लागत से बना हुआ है रोगी आश्रय स्थल

जिला अस्पताल में महिला और पुरुष तीमारदारों के अलग-अलग ठहरने के लिए वर्ष 2015-16 में रोगी आश्रय स्थल मंजूर हुआ। करीब 16 लाख रुपये की लागत से प्राइवेट वार्ड के सामने दो मंजिला भवन में शौचालय-स्नानगृह आदि भी बनवाए गए। वर्ष 2016 में यह कार्य हो गया था। फर्श, पेंट, लाइटिग आदि फिनिशिग के काम के लिए तय चार लाख रुपये न मिलने के कारण भवन अस्पताल प्रशासन के हैंडओवर नहीं हुआ है।

मारपीट की घटना में घायल पति दिनेश दो दिन से भर्ती हैं। किसी तरह बेड पर जगह कर रात काट ली, लेकिन नहाने की समस्या है। ठंड से बचने के लिए कंबल तक नहीं मिलता है।

- चंदा देवी, हसनपुर बीमार हालत में पति छेदालाल पांच दिन से भर्ती हैं। वार्ड छोटा है और मरीज अधिक रहते हैं। इस स्थिति में कोई बेड खाली नहीं मिलता और बेंच पर ही रात काटनी पड़ती है।

- शांति देवी, सरनऊ

मेडिकल कालेज के लिए कई वार्ड भवन ध्वस्त किए जा चुके हैं। अब अस्पताल में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां रैन बसेरा बनाया जा सके। अधूरे बने रैन बसेरा को लेकर कार्यदायी संस्था को पत्र भेजा गया है।

- डा. राजेश कुमार अग्रवाल, सीएमएस, जिला अस्पताल

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