डेंगू का बुखार, नियम-मानक तार-तार
जागरण संवाददाता, एटा: डेंगू बुखार का मौसम आ गया है। शुरुआत से ही इसके मामले सुनाई देने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, एटा: डेंगू बुखार का मौसम आ गया है। शुरुआत से ही इसके मामले सुनाई देने लगे हैं। निजी चिकित्सक नियम और मानकों के विपरीत मरीजों को गुमराह कर रहे हैं।
पिछले कुछ सालों से जहां डेंगू आम लोगों के लिए दहशत बना हुआ है। वहीं, निजी चिकित्सा क्षेत्र में यह बड़ा बिजनेस बनकर उभरा है। डेंगू के खौफ में मोटी कमाई की जाती है। निजी डॉक्टर मनमाने ढंग से मरीजों को डेंगू घोषित कर देते हैं। एनएस-1 रैपिड टेस्ट पॉजिटिव और प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर मरीज और उनके परिजनों को भयभीत कर दिया जाता है। जबकि डेंगू की पुष्टि के लिए ये टेस्ट पर्याप्त नहीं हैं।
इसके बावजूद निजी पैथोलॉजी लैब और डॉक्टरों के यहां हर रोज चार-छह मरीजों को डेंगू बताया जा रहा है। वहीं, जिला अस्पताल की पैथोलॉजी लैब में जुलाई से अब तक किए गए सभी 32 टेस्ट में डेंगू की पुष्टि नहीं की गई है। निजी चिकित्सकों के मुताबिक इनमें से आधे मरीज डेंगू के माने जा सकते हैं।