लाहा की बोआई अंतिम दौर में, समितियों पर नहीं डीएपी
किसानों को निजी दुकानों से अधिक मूल्य पर खरीदनी पड़ रही खाद
जासं, एटा: लाहा की बोआई लगभग अंतिम दौर में पहुंच चुकी है, मगर साधन सहकारी समितियों पर डीएपी खाद नहीं पहुंच सकी है। किसानों को निजी दुकानों से अधिक मूल्य पर इसकी खरीद करनी पड़ रही है।
बाजरा की फसल में पिछड़े किसान लाहा की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं। लाहा की कीमत अधिक है इसलिए बोआई का रकबा भी बढ़ा दिया गया है, लेकिन साधन सहकारी समितियों पर डीएपी खाद का टोटा किसानों को भारी पड़ रहा है। इस कारण किसानों को मजबूर होकर निजी दुकानों से डीएपी खाद की खरीदारी करनी पड़ रही है।
वहीं कोआपरेटिव एआर डा. महीपाल सिंह ने बताया कि गुजरात से खाद की रैक निकल चुकी है। दो दिन के अंदर जिले में डीएपी और एनपीके खाद उपलब्ध होगी। 68 सहकारी समितियों पर 1385 मीट्रिक टन खाद भेजी गई है। इसमें से किसानों को 50 फीसद का वितरण हो चुका है। यहां जो भी रैक आ रही है उनमें से 60 फीसद खाद एटा को और 40 फीसद कासगंज को दी जा रही है।
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खतौनी के हिसाब से मिलेगी खाद:
जिला कृषि अधिकारी एमपी सिंह ने बताया कि कृषकों को उर्वरक क्रय करने के लिए अपनी खतौनी व आधार कार्ड साथ ले जाना होगा। इसके बाद ही उन्हें दुकान से खाद मिल सकेगी। जनपद के समस्त फुटकर उर्वरक विक्रेताओं को भी निर्देशित किया है कि वे उर्वरक बिक्री करते समय कृषक से खतौनी की नकल अवश्य ले। उन्होंने कहा कि उर्वरक का भौतिक व पीओएस मशीन के स्टाक में कोई भी अंतर नही होना चाहिए। उर्वरक की बिक्री पीओएस मशीन से कृषक का अंगूठा लगाकर की जाए।