बदहाल आनलाइन शिक्षा को पटरी पर लाने की चुनौती

माध्यमिक व बेसिक शिक्षा विभाग जारी कर चुका है निर्देश संसाधन तो कहीं शिक्षकों की समस्याएं बनीं चुनौती

By JagranEdited By: Publish:Sat, 01 May 2021 06:42 AM (IST) Updated:Sat, 01 May 2021 06:42 AM (IST)
बदहाल आनलाइन शिक्षा को पटरी पर लाने की चुनौती
बदहाल आनलाइन शिक्षा को पटरी पर लाने की चुनौती

जासं, एटा: सरकार द्वारा फिर से स्कूल बंद होने की स्थिति में आनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन स्थिति यह है कि संसाधनों की समस्या फिर से आड़े आ रही है। बंद स्कूलों में शिक्षकों को वेतन न मिलने से जहां प्राइवेट शिक्षक आनलाइन शिक्षा देने से दूर हैं। वहीं सरकारी शिक्षकों को बच्चों और अभिभावकों के पास सीमित संसाधन की स्थिति से शासन की मंशा पूरी कर पाना चुनौती बन गया है।

यहां बता दें कि कोरोना संक्रमण की शुरूआत होने के बाद से ही मार्च के अंतिम सप्ताह से सभी प्राइमरी व जूनियर स्कूल बंद चल रहे हैं। वहीं अप्रैल में माध्यमिक स्कूलों में भी शिक्षण कार्य ठप हो चुका है। 31 मार्च को शिक्षण सत्र समाप्त हो चुका है। प्राइमरी तथा जूनियर स्कूलों में बिना परीक्षाओं के ही लगातार दूसरे साल बच्चों को प्रोन्नत कर दिया गया। वहीं अभी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं भी लटकी हुई हैं। स्कूल बंद होने से ठप हुई शिक्षण व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग वर्चुअल क्लासें तथा आनलाइन शिक्षण को फिर शुरू करने के निर्देश दे चुका है। दूसरी ओर बेसिक शिक्षा में भी ई-पाठशाला का तृतीय चरण शुरू किया जा चुका है। खास बात तो यह है कि स्कूल जरूर बंद हैं, लेकिन आनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था नवंबर में खुले माध्यमिक स्कूल के बाद से ही लड़खड़ा गई थी।

इधर, आनलाइन शिक्षा का फरमार जारी हो चुका है। उधर पंचायत चुनाव की गतिविधियों में सरकारी शिक्षक लगे हैं। कोरोना संक्रमण की चपेट में शिक्षण संस्थानों से जुड़ा तबका भी प्रभावित है। ऐसी स्थिति में वित्तविहीन स्कूलों की तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है, जहां स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षकों को पेपर न देने के कारण वे ही शिक्षण से जी चुरा रहे हैं। माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को ई-लर्निंग शिक्षण में कई तरह की समस्याएं आड़े आ रही हैं। एक तो यही कि नई कक्षाओं की विद्यार्थियों के पास अभी किताबें भी नहीं हैं। बोर्ड परीक्षार्थियों का पाठ्यक्रम पहले ही पूरा हो चुका है।

दूसरी ओर ई-लर्निंग का नेटवर्क कमजोर बना हुआ है। यहां अभी 10 फीसद स्कूल ही ई-लर्निंग शुरू नहीं कर सके। बेसिक शिक्षा की बात की जाए तो यहां पिछले साल भी कोरोना काल में बच्चों और अभिभावकों के पास ई-पाठशाला संचालित करने के लिए संसाधनों की कमी बरकरार है। चाहकर भी अभिभावक और फिर बच्चों पर शिक्षण सामग्री नहीं पहुंच पा रही। विभाग के निर्देशों के बाद यहां भी संसाधनविहीन बच्चों का आंकड़ा जुटाया जा रहा है। जिला विद्यालय निरीक्षक डा. मनोज सक्सेना बताते हैं कि सभी स्कूलों को ई-लर्निंग के निर्देश दिए हैं। जल्दी समीक्षा की जाएगी। उधर, बीएसए संजय सिंह का कहना है कि प्रेरणा ई-पाठशाला की सामग्री हर स्कूल तक पहुंचाई जा चुकी है। उसे बच्चों तक पहुंचाना शिक्षकों की जिम्मेदारी होगी।

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