कारतूस चोरी: हेड मुहर्रिरों के बयान लेने में ही गुजार दिए चार साल

अफसरों के तबादले के कारण भी रफ्तार न पकड़ पाई जांच प्रक्रिया मालखानों के आधा दर्जन इंचार्जों पर घूम रही शक की सुई

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 06:20 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 06:20 AM (IST)
कारतूस चोरी: हेड मुहर्रिरों के बयान लेने में ही गुजार दिए चार साल
कारतूस चोरी: हेड मुहर्रिरों के बयान लेने में ही गुजार दिए चार साल

जासं, एटा: शहर कोतवाली के मालखाने से गायब 2361 कारतूसों का मामला तो वर्ष 2017 में ही अफसरों के संज्ञान में आ गया था। अभिलेख और भौतिक सत्यापन भी कराया गया मगर, जांच के अंजाम तक पहुंचने में लापरवाही बरती गई। मालखाने के जिम्मेदारों के बयान लेने में ही चार साल गुजार दिए गए। अफसरों के तबादले से भी जांच प्रक्रिया रफ्तार नहीं पकड़ पाई।

शहर कोतवाली में वर्ष 2011 से लेकर 2017 तक आधा दर्जन हेड मोहर्रिरों पर मालखाने का चार्ज रहा। कमाल की बात यह है कि इनमें से चार्ज लेते समय उल्लेख नहीं किया कि अभिलेख के मुताबिक कारतूसों का स्टाक नहीं है। अभिलेख में सिर्फ यही लिखा गया कि मालखाने में इतने कारतूस पाए गए। वर्ष 2017 में हेड मोहर्रिर विजय सिंह ने इस मामले को पकड़ा और लिखित शिकायत कर दी। पुलिस यह मान रही है कि जो 2361 कारतूस गायब हुए है कि वे वर्ष 2011 के बाद हुए हैं।

वर्ष 2017 में तत्कालीन सीओ की जांच रिपोर्ट के बाद विगत में तैनात रहे हेड मुहर्रिरों के बयान शुरू किए गए। ये प्रक्रिया भी धीमी गति से हुई। कभी अफसर का तबादला होने से प्रक्रिया रुक गई तो नए अफसर के संज्ञान में मामला देरी से लाया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2011 से वर्ष 2017 तक तैनात रहे करीब आधा दर्जन हेड मुहर्रिरों ने अपने-अपने बयान में एक ही बात कही कि उन्होंने कारतूस कम होने की जानकारी तो थी, मगर चार्ज लेते समय इसका उल्लेख नहीं किया। कारतूस गायब होने का शक इन्हीं हेड मुहर्रिरों पर घूम रहा है। 2011 से ये रहे हेड मोहर्रिर

वर्ष 2011 में हेड मोहर्रिर यादराम ने मालखाने का चार्ज संभाला। इसके बाद राजेंद्र सिह, जितेंद्र सिंह, रुकुमपाल और रामचंद्र राठौर मालखाने के इंचार्ज रहे। वर्ष 2017 में महेंद्र सिंह हेड मोहर्रिर थे, जिनसे विजय सिंह ने चार्ज लिया। वर्ष 2007 में कारतूसों सहित पकड़ा गया था हेड मुहर्रिर

वर्ष 2007 में पुलिस लाइन से सैकड़ों कारतूस चोरी हुए थे। एसटीएफ ने पड़ताल की तो एटा के अलावा शाहजहांपुर, हरदोई और रामपुर में भी कारतूसों की चोरी पकड़ में आई। तब शक जताया गया कि चोरी के कारतूस नक्सलियों तक पहुंचाए जा रहे हैं, लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत पुलिस को नहीं मिले। हालांकि पुलिस लाइन से चोरी हुए कारतूसों को एटा में हेड मोहर्रिर रहे जयपाल गौतम के कब्जे से टूंडला में एसटीएफ ने बरामद कर लिया था। वर्ष 2010 में एसटीएफ ने कासगंज जनपद के गांव नादरमई निवासी रामप्रताप उर्फ कालू उर्फ बौनी को गिरफ्तार किया जिसका कनेक्शन तत्कालीन हेड मोहर्रिर जयपाल गौतम से पाया गया था। इस मामले में ये जानने की जरूरत नहीं समझी गई कि ये कारतूस कहां गए? कहीं अपराधियों तक तो नहीं पहुंचा दिए गए?

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