हुई निरस्त परीक्षा, साल्व पेपर की अफवाह
डीएलएड द्वितीय सेमेस्टर की पूर्व में निरस्त हुई परीक्षा पुन बुधवार क
एटा, जागरण संवाददाता: डीएलएड द्वितीय सेमेस्टर की पूर्व में निरस्त हुई परीक्षा पुन: बुधवार को नियत परीक्षा केंद्रों पर हुई। सिर्फ एक घंटे की नियत परीक्षा कराने के लिए कड़ी निगरानी रही। विद्यार्थी ही नहीं बल्कि शिक्षक और केंद्र व्यवस्थापकों के लिए भी मोबाइल व इलेक्ट्रानिक डिवाइस प्रतिबंधित रहीं।
7 नवंबर को डीएलएड द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा कुछ जिलों में पेपर लीक के मामले सामने आने के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा निरस्त की गई थी। यह परीक्षा पुन: बुधवार को हुई। हालांकि प्रशासन ने किसी भी तरह की चूक न करते हुए परीक्षार्थियों की सघन तलाशी तथा परीक्षा के नियत समय पर ही परीक्षार्थियों को केंद्र के अंदर भेजा। पंजीकृत 6800 परीक्षार्थियों के सापेक्ष 6022 परीक्षार्थियों ने ही परीक्षा दी। 778 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। हर केंद्र पर दो पर्यवेक्षक तथा खुद उप शिक्षा निदेशक डा. जितेंद्र सिंह ने निगरानी की। परीक्षा शांतिपूर्ण निपट गई। उधर परीक्षा के बाद हिम्मतपुर स्थित परीक्षा केंद्र पर परीक्षा से पूर्व ही साल्व कापी परीक्षार्थियों को व्हाट्सएप ग्रुप पर उपलब्ध होने की अफवाह उड़ी। बाद में प्रशासन द्वारा ऐसी किसी भी स्थिति से इनकार किया है। उपशिक्षा निदेशक ने बताया कि साल्व पेपर की बात गलत है तथा कुछ परीक्षार्थी ही ऐसा कर रहे हैं, जोकि केंद्रों पर कड़ाई के कारण खुद उत्तीर्ण होने की स्थिति में नहीं हैं।
हाईकोर्ट से धुमरी प्रधान को मिली राहत: अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर विकास कार्य कराने के आरोप में घिरे रहे धुमरी प्रधान को हाईकोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट के आदेश पर प्रधान को वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार वापस मिल गए हैं। प्रधान के खिलाफ टीम गठित करके जांच कराई गई थी।
कस्बा धुमरी प्रधान भूपेन्द्र यादव के खिलाफ अधिकार में न होने के बाद भी विकास कार्य कराए जाने की शिकायत की गई थी। जिसमें बताया गया था कि हैंडपंप लगवाना उनके अधिकार में नहीं है, इसके बाद भी पंचायत में हैंडपंप लगवाए गए। प्रधान पर व्यक्तिगत लोगों के नाम भुगतान करने का भी आरोप लगाया गया था। इन सभी आरोपों को लेकर प्रधान के खिलाफ तीन बार जांच हुई । जिसमें दोषी मानते हुए डीएम सुखलाल भारती ने प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार सील कर दिए थे। लंबे समय तक चली जांच प्रक्रिया को लेकर प्रधान ने हाईकोर्ट में शरण ली। जहां सुनवाई के बाद कोर्ट ने जिलाधिकारी के अधिकार बंद करने वाले आदेश को निरस्त कर दिया। जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक कुमार प्रियदर्शी ने कहा कि कोर्ट से मिले आदेश पर प्रधान के अधिकार बहाल कर दिए हैं।