बीमारी का पता नहीं गिर रहीं प्लेटलेट्स

बुखार का प्रसार कौन जिम्मेदार सीएमओ बोले गुमराह कर रहे प्राइवेट पैथोलॉजी वाले सरकारी पैथोलॉजी पर भी जुट रही है भीड़

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 05:34 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 05:34 AM (IST)
बीमारी का पता नहीं गिर रहीं प्लेटलेट्स
बीमारी का पता नहीं गिर रहीं प्लेटलेट्स

जासं, एटा: जितनी तेजी से बुखार बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से जांच की रफ्तार भी बढ़ी है। जांच के दौरान तमाम लोग गुमराह भी हो रहे हैं। बुखार के मरीज जब नर्सिंग होम, क्लीनिक और झोलाछाप के यहां पहुंचते हैं तो सबसे पहले उनसे सीबीसी जांच कराने के लिए कहा जाता है। भले ही किसी के डेंगू नहीं है, लेकिन सीबीसी जांच में प्लेटलेट्स डाउन दिखा दी जाती हैं और फिर अगर 20 हजार से कम प्लेटलेट्स किसी की हैं तो जम्बोपैक की सलाह दी जाती है।

सवाल यह है कि लोग समझ नहीं पा रहे कि जब उन्हें डेंगू नहीं है तो प्लेटलेट्स इतनी कैसे डाउन हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की राय है कि प्राइवेट पैथोलॉजी वाले गुमराह कर रहे हैं।

जनपद में प्रतिदिन बुखार के रोगियों की सरकारी व गैर सरकारी पैथोलॉजी पर जांच के लिए भीड़ जुट रही है। बीमारी का स्पष्ट पता नहीं चल रहा, लेकिन प्लेटलेट्स गिर रही हैं। अलग-अलग पैथोलाजी पर अगर जांच कराई जाए तो सीबीसी जांच रिपोर्ट में प्लेटलेट्स में काफी अंतर दिखाई देता है।

रैवाड़ी मुहल्ला के रहने वाले राजेश जैन ने मेडिकल कालेज की पैथोलॉजी में सीबीसी कराई तो उनकी प्लेटलेट्स 70 हजार थीं, लेकिन उन्हें कमजोरी अधिक थी और बुखार भी आ रहा था। इसलिए उन्हें लगा कि प्लेटलेट्स अधिक डाउन हैं। इसलिए मेडिकल कालेज से जांच रिपोर्ट लेने के बाद उन्होंने एक निजी पैथोलॉजी पर पुन: सीबीसी कराई तो आश्चर्यजनक ढंग से प्लेटलेट्स 40 हजार आईं। ऐसी स्थित एक नहीं कई केसों में बनी है। आखिर मशीनें गड़बड़ी कर रही हैं या फिर और कोई वजह है, जो दोहरी जांच में अंतर सामने आ रहा है। इससे मरीज गुमराह हो रहे हैं। पैथोलॉजी पर डेंगू की जांच के लिए 1800 से लेकर 2000 रुपये वसूले जा रहे हैं। रिपोर्ट दूसरे दिन मिल पाती है, जबकि मेडिकल कालेज की पैथोलॉजी पर रिपोर्ट एक दिन में ही मिल जाती है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. उमेशचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि कई प्राइवेट पैथोलॉजी वाले मरीजों को गुमराह कर देते हैं और जनपद से बाहर के जिस अस्पताल से उनका टाइअप है, वहां मरीज को ले जाने की सलाह देते हैं। कई मरीज इस जाल में फंस जाते हैं। उन्होंने कहा कि मेडिकल कालेज की जांच रिपोर्ट पर कोई उंगली नहीं उठा सकता। हमारी जांच विश्वसनीय होती है। प्राइवेट पैथोलॉजी पर प्रशिक्षित स्टाफ की कमी

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प्राइवेट पैथोलॉजी पर प्रशिक्षित स्टाफ की कमी है। किसी भी पैथोलॉजी पर ट्रेंड लोग नहीं मिलेंगे। सिर्फ जिन्हें जांच के बारे में थोड़ी जानकारी है, उनसे ही काम चलाया जा रहा है। यह स्थिति एक नहीं शहर की अधिकांश पैथोलॉजी की है। यहां छह पैथोलॉजी पंजीकृत हैं, जबकि कम से कम शहर में छोटी-बड़ी दो दर्जन से अधिक पैथोलॉजी संचालित हैं। एक नजर

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प्रतिदिन मेडिकल कालेज में हो रहीं जांचें-250 से 300

शहर में पैथोलॉजी की संख्या-26

मेडिकल कालेज में ब्लड बैंक-1

बुखार के भर्ती मरीज-34

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