पांच महीने में पस्त हो गई हौसला

जागरण संवाददाता, एटा: कुपोषण से जंग के लिए पिछली सरकार में हौसला पोषण योजना शुरू की,

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Jan 2018 06:28 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jan 2018 06:28 PM (IST)
पांच महीने में पस्त हो गई हौसला
पांच महीने में पस्त हो गई हौसला

जागरण संवाददाता, एटा: कुपोषण से

जंग के लिए पिछली सरकार में हौसला पोषण योजना शुरू की, लेकिन इससे पोषण मिलना तो दूर, योजना पांच महीने में कुपोषण का शिकार होकर दम तोड़ गई। अब विभाग पोषाहार (पंजीरी) के सहारे ही कुपोषण से मोर्चा ले रहा है।

शासन के निर्देश पर वर्ष 2016 में 25 जुलाई को हौसला पोषण योजना का शुभारंभ किया गया। योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं और अतिकुपोषित बच्चों को गर्म खाना खिलाया जाना था। अतिकुपोषित बच्चों को 20 ग्राम घी और दूध दिए जाने का प्रावधान था। उम्मीद जगी कि सरकार का यह कदम वास्तव में कुपोषण मिटाने में मददगार साबित होगा, लेकिन अभी योजना का सही ढंग से संचालन हो पाता कि इसे बंद कर दिया गया। दिसंबर से जिले को योजना के तहत खाना आदि के लिए बजट मिलना बंद हो गया। विभाग के पास पोषण के लिए महज दो ही विकल्प बचे हैं। इनमें से हॉट कुक्ड भोजन के लिए लंबे समय से बजट नहीं दिया जा रहा है। केवल पोषाहार के सहारे ही विभाग कुपोषण से मुकाबला लड़ रहा है। जिसे शहर ही नहीं, गांव में भी अधिकांश लोग पसंद नहीं करते हैं।

पांच महीने के दौरान भी अव्यवस्थाएं रहीं हावी

यूं तो योजना महज पांच महीने ही जिले में चली, लेकिन इन पांच महीनों में भी इसमें अव्यवस्थाएं हावी रहीं। पहले तो योजना की शुरुआत ही खराब रही। शुरुआती दौर में सरकारी मशीनरी को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा। उनका कहना था कि गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले गर्म खाने के लिए विभाग की ओर से आंगनबाड़ी और ग्राम प्रधान के संयुक्त खाते में धनराशि भेजी जा रही है। प्रधान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पैसे नहीं निकालने दे रहे। बाद में निर्देश आए कि कुल चिन्हित गर्भवती महिलाओं में से 40 फीसद और कुल अति कुपोषित बच्चों में 70 फीसद को खाना दिया जाएगा। इसको लेकर काफी असमंजस की स्थिति रही। अधिकारियों ने काफी सामंजस्य और दबाव से योजना का संचालन करा पाया, लेकिन अधिकांश केंद्रों पर गर्म भोजन बनने के बजाए खाना प्रधानों के घर से पककर अधिकांश केंद्रों पर बंटता रहा।

शबरी संकल्प में मिल सकता है तोहफा

सरकार ने कुपोषण मिटाने के लिए शबरी संकल्प योजना शुरू की है, जिसमें तीन वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को लक्ष्य बनाकर कार्य किया जाएगा। हालांकि, अभी यही निर्देश हैं कि कुपोषित बच्चों के परिवार को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाकर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाएगा। इसके साथ ही ऐसे संकेत मिले हैं कि भविष्य में कुपोषित बच्चों के लिए आर्थिक मदद का प्रावधान किया जा सकता है। हालांकि, अभी ऐसे स्पष्ट निर्देश नहीं हैं।

अधिकारी की बात

हौसला पोषण योजना बंद हो चुकी है। अब गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पोषाहार दिया जा रहा है। अतिकुपोषित बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार की मात्रा बढ़ा दी जाती है।

- सत्यप्रकाश पांडेय, डीपीओ।

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