दो कदम भी न बढ़ा पराली का जागरूकता अभियान

जिलास्तर पर अभियान का हो चुका आगाज निष्क्रियता हावी गांव स्तर पर न तो जिम्मेदार और न ही पहुंच रहे वैज्ञानिक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 05:46 AM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 05:46 AM (IST)
दो कदम भी न बढ़ा पराली का जागरूकता अभियान
दो कदम भी न बढ़ा पराली का जागरूकता अभियान

जासं, एटा: धान की फसल कटने से पहले ही किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूक करना था। जिलास्तर पर गोष्ठी हुए भी एक पखवाड़ा बीत गया, लेकिन अब विभाग तथा कृषि विज्ञान केंद्र के जिम्मेदार भी अभियान को लेकर निष्क्रिय नजर आ रहे हैं।

कई वर्षो से पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की स्थिति से सरकार भी चितित है। इस बार दो महीने पहले से ही किसानों को समझाने के लिए गाइड लाइन जारी की गई। शासन की मंशा के अनुरूप फसल आने से पहले ही गांव-गांव किसानों को पराली जलाने के नुकसान बताने के अलावा पराली के सदस्यों को लेकर उन्हें प्रशिक्षित किए जाने की योजना तय की गई थी।

पराली जागरूकता के लिए बजट भी उपलब्ध कराया गया है। मुख्यालय पर गोष्ठी कर जिम्मेदारों ने सक्रिय होने का सुबूत भी दिया, लेकिन इसके बाद स्थिति यह है कि न तो कृषि विभाग के कर्मचारी ही गांव की ओर रुख कर रहे हैं और न ही किसानों की मानसिकता बदलने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी किसानों के बीच पहुंचने में निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। जागरूकता के नाम पर कागजी औपचारिकताएं ही पूरी की जा रही हैं। अभी तक उन क्षेत्रों को भी चिह्नित नहीं कराया गया है, जहां के किसान सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले में अग्रणी रहे हैं। जागरूकता के कार्यक्रमों को लेकर किसी भी तरह का रोस्टर भी जारी नहीं किया गया है। कई जागरूक किसानों ने पराली का सदुपयोग कर खेती में फायदे के नुस्खे खोजे हैं। उन्हें लेकर भी अन्य किसानों को प्रेरित नहीं किया जा रहा है।

मुख्य विकास अधिकारी डा. अरविद बाजपेई का कहना है कि जागरूकता कार्यक्रमों का शुभारंभ हो चुका है और जल्दी ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी जागरूकता दिखेगी। इस विशेष अभियान को लेकर पूरी निगरानी कराई जाएगी।

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