विश्व एथलेटिक्स दिवस: सुविधाओं शिफर, फिर भी प्रतिभाएं सुपर
गरीबी को मात देकर कई बेटियों ने राष्ट्रीय स्तर तक जमाई धाक आरती कुशवाह रोल माडल तो कई युवा एथलीट कमा चुके नाम
जासं, एटा: पिछड़ा जनपद और खिलाड़ियों के लिए संसाधनों की कमी यहां अरसे से है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कमी नहीं फिर भी उन्हें तलाशने तथा तराशने को प्रयास औपचारिक ही रहे हैं। खासियत यह रही है कि विपरीत परिस्थितियों और गरीबी के हालातों को भी मात देकर जिले की कई एथलीट बेटियों ने राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया। वहीं होनहार बेटी आरती कुशवाह की प्रेरणा अन्य खिलाड़ियों के लिए भी कामयाबी की राह बनकर सामने आई है। अब जिला एथलेटिक्स के मामले में राष्ट्र व प्रदेश स्तर पर पहचान का मोहताज नहीं है। 2005 तक जिले में एथलेटिक्स सिर्फ स्कूली व ग्रामीण प्रतियोगिताओं तक सीमित रहा खिलाड़ियों में हुनर था, लेकिन ²ढ़ इच्छाशक्ति और अच्छे प्रशिक्षण की दरकिनार से वह आगे नहीं बढ़ पाए। वर्ष 2006 में एटा के समीपवर्ती गांव शिवसिंहपुर के मजदूर परिवार की आरती कुशवाह ने अपने हौसलों की उड़ान व गरीबी के अभावों को ताकत बना कर लगातार कीर्तिमान स्थापित किए। अपनी आर्थिक तंगी को लक्ष्य के आडे नहीं आने दिया। 2008 से लगातार अब तक आरती ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पीटी ऊषा की प्रशंसक रही आरती ने लंबी कूद तथा ट्रिपल जंप को अपना करियर मानकर नाम कमाने का सफर जारी रखा है। 2008 में सोनभद्र में आयोजित स्कूल गेम्स में लंबी कूद में आरती ने नया रिकार्ड बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया। 2011 में गाजियाबाद में संपन्न राज्य प्रतियोगिता में लंबी कूद, ऊंची कूद एवं बाधा दौड़ की चैंपियनशिप आरती के नाम रही। 2013 में स्पोर्ट्स कोटे से केंद्रीय रिजर्व पुलिस में भर्ती हुई आरती नौकरी के बाद पोलवार्ड में भी नए कीर्तिमान बना रही हैं। 2019 आल इंडिया पोलवाल्ट चैंपियनशिप में आरती ने तीसरा स्थान प्राप्त किया है। आरती के सफलताओं के सफर के बाद लगातार कई बेटियां और युवक भी एथलीट में राष्ट्र व प्रदेश स्तर पर सफलता का ताज पहन चुके हैं। अब गरीबी और संसाधनों की कमी को नवोदित खिलाड़ी लगातार मात दे रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे खिलाड़ी
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आरती कुशवाह, कीर्ति वर्मा, खुशबू वर्मा, सचिन यादव। प्रदेश स्तर पर सफल रहे एथलीट
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रंजना राजपूत, नेहा, भावना, सूरज कुमार, संदीप कुमार, नीतीश कुमार। कोच के पसीना से निखरते रहे नगीना
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जिले में एथलेटिक्स चमकाने के पीछे निजी कोच सत्येंद्र सिंह की निस्वार्थ सेवा रही है। राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर चमके एथलीट को अभावों में उनका ही सहारा रहा। हर रोज प्रेक्टिस कराने से लेकर प्रतियोगिताओं में ले जाने तक जिम्मेदारी निभाई। सफलताओं के पीछे कोच की मेहनत भी छुपी है। वह कहते हैं कि आगे भी नवोदित खिलाड़ियों को अच्छा एथलीट बनाएंगे। -------
जिले में एथलेटिक्स की प्रतिमाएं उभर रही है। विभाग का प्रयास है कि जो प्रतिभाएं हैं उन्हें अच्छा प्रशिक्षण और संसाधन दिलाए जा सके।
सिराजुद्दीन, जिला क्रीड़ा अधिकारी एटा