बुलाकी साह पोखरे में भरा रहता पानी
जागरण संवाददाता बरहज जल ही जीवन है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना करना संभव नहीं ह
जागरण संवाददाता, बरहज: जल ही जीवन है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है। इसी धारणा को प्रदर्शित करता है बरहज तहसील क्षेत्र के ग्राम कपरवार स्थित बुलाकी साह का पोखरा। करीब 300 वर्ष पूर्व इस पोखरे का निर्माण बुलाकी साह ने कराया था, लेकिन 10 वर्ष से एक शिक्षक की पहल से पोखरे में वर्षा जल भरा रहता हैं, जो पशु, पक्षियों की प्यास बुझा रहा है।
सेवानिवृत शिक्षक कृपा शंकर गुप्त पोखरे के संरक्षण को लेकर गंभीर हैं। 10 साल से पोखरे को संवार रहे हैं। इसमें ग्रामीणों की मदद लेते हैं, जिसका नतीजा यह कि पोखरे में वर्षा जल संरक्षित रहता है। जिसके कारण गांव का भूजल स्तर ठीक है। पहले लोगों के हैंपंप सूख जाते हैं, अब इस पोखरे के कारण आसपास के घरों में लगे पंप में पानी कभी नहीं सूखता।
कहते हैं कि समय की मांग है कि हम सभी को वर्तमान व भावी पीढ़ी जल संरक्षण व उसका प्रबंधन करे। प्राकृतिक स्वच्छ जल स्रोतों का अस्तित्व तेजी से सिमटता जा रहा है। भूजल का दोहन हो रहा है। भविष्य में जल संकट गंभीर न हो इसके लिए वर्षा जल संचयन के उपायों को और तेज करना होगा।
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वर्षा जल के इस्तेमाल और इकट्ठा करने के आसान तरीकों को अपनाना होगा
- तकनीकी विशेषज्ञ विकास सिंह बताते हैं कि वर्षा जल के इस्तेमाल और इकट्ठा करने के आसान तरीकों में अब काफी कमी आई है। बांधों के माध्यम से नदियों और नल व नलकूपों के माध्यम से भूजल का बहुत तेजी के साथ रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए दोहन किया जाने लगा है। इन्हें ही सभी लोगों को जल प्रदान करने का मुख्य स्रोत बना दिया गया। नदियों और जलाशयों का जल वर्षा के जल का एक छोटा-सा हिस्सा मात्र है। उन पर सभी को पानी पिलाने का दबाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति भविष्य के लिए ठीक नहीं है। जल संचयन के विविध उपायों को अपनाना होगा।