वामन द्वादशी पर हनुमान मंदिर में महिलाओं ने की पूजन-अर्चना

वामन द्वादशी के अवसर पर शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में श्रद्धालु जनों ने व्रत रखा और वामन भगवान का विधि-विधान से पूजन-अर्चना किया। शहर के हनुमान मंदिर में महंथ परमात्मा स्वामी व राजेश नारायण के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में व्रती महिलाएं एकत्रित हुई और यहां पूरा दिन भजन-संकीर्तन व प्रवचन का दौर चला। शाम को भगवान वामन के आरती के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 11:33 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 11:33 PM (IST)
वामन द्वादशी पर हनुमान मंदिर में महिलाओं ने की पूजन-अर्चना
वामन द्वादशी पर हनुमान मंदिर में महिलाओं ने की पूजन-अर्चना

देवरिया: वामन द्वादशी के अवसर पर शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में श्रद्धालु जनों ने व्रत रखा और वामन भगवान का विधि-विधान से पूजन-अर्चना किया। शहर के हनुमान मंदिर में महंथ परमात्मा स्वामी व राजेश नारायण के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में व्रती महिलाएं एकत्रित हुई और यहां पूरा दिन भजन-संकीर्तन व प्रवचन का दौर चला। शाम को भगवान वामन के आरती के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ।

प्रवचन करते हुए कथा वाचक डा. भीम शंकर पांडेय ने कहा कि मनुष्य के पास चाहे कितना भी धन क्यों न हो जाय उसे घमंड नहीं करना चाहिए। मनुष्य का घमंड उसे कहीं का नहीं छोड़ता है। वामन भगवान की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि राजा बली बड़े पराक्रमी और दानी थे। भगवान के बड़े भक्त भी थे, लेकिन उन्हें बहुत ही घमंड था। तब भगवान के मन में राजा बली की परीक्षा लेने की सूझी और वामन अवतार लेकर उसके यज्ञ में पहुंच गए। जैसे ही वे राजा बली के यज्ञ स्थल पर गए वे उनसे बहुत प्रभावित हुए और भगवान के आकर्षक रूप को देखते हुए उन्हें उचित स्थान दिया। अंत में जब दान की बारी आई तो राजा बली ने भगवान के वामन अवतार से दान मांगने के लिए कहा, राजा बली ने से वामन भगवान ने तीन पग जमीन मांगा। तब राजा बली मुस्कुराए और बोले तीन पग जमीन तो बहुत छोटा सा दान है। महाराज और कोई बड़ा दान मांग लीजिए, पर भगवान के वामन अवतार ने उनसे तीन पग जमीन ही मांगा। राजा बली ने तीन पग जमीन संकल्प के साथ देने का वचन दिया। भगवान ने दो पग में राजा बली के पूरे राज्य को नाप दिया। तीसरे पग के लिए कुछ बचा ही नहीं था। ऐसे में भगवान ने बली से पूछा कि तीसरा पग कहां नापू तब राजा बली महादानी होने का परिचय देते हुए अपने आप को समर्पित कर दिए। उन्होंने कहा कि कथा का सार यह है कि कभी कभी लोगों का घमंड चूर करने के लिए भगवान को भी अवतार लेना पड़ा। हमें धनवान होने का कभी घमंड नहीं करना चाहिए।

यहां मुख्य रूप से पुजारी राम सुरेश दास, परमहंस दास, योगेश दास, आरद मुनि, वनवारी, दिनेश गुप्ता, विनोद द्विवेदी, शुभवंती देवी, रामनक्षत्र दुबे, निर्मला देवी, सुशीला देवी, अंकिता देवी, कुसुम तिवारी, राधिका देवी, मीरा मणि, चन्द्रावती पांडेय, कौशल आदि मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी