जमीन को लेकर 40 वर्षो से चल रहा था विवाद

बरहज के चकरा नोनार गांव में करीब 40 वर्षों से जमीन के टुकड़े को लेकर दोनों परिवारों के बीच चल रहा विवाद बढ़ता गया। नतीजा रहा कि दो लोगों की जान चली गई। दोनों भाई अपने चाचा के निधन पर शुक्रवार को उत्तराखंड से घर आए थे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 11:10 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 11:10 PM (IST)
जमीन को लेकर 40 वर्षो से  चल रहा था विवाद
जमीन को लेकर 40 वर्षो से चल रहा था विवाद

देवरिया : बरहज के चकरा नोनार गांव में करीब 40 वर्षों से जमीन के टुकड़े को लेकर दोनों परिवारों के बीच चल रहा विवाद बढ़ता गया। नतीजा रहा कि दो लोगों की जान चली गई। दोनों भाई अपने चाचा के निधन पर शुक्रवार को उत्तराखंड से घर आए थे। दोनों वहां एक ही कंपनी में प्राइवेट नौकरी करते थे। मौत से परिवार व गांव में मातम का माहौल है।

गांव के लालधारी यादव व हंसनाथ यादव के परिवार के बीच जमीन व रास्ते को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों पक्ष के रिश्तेदारों की मौजूदगी में 2004 में समझौता हुआ था। इसी बीच हंसनाथ यादव ने एसडीएम कोर्ट बरहज में पैमाइश के लिए वाद दायर किया। राजस्व कर्मियों ने फील्ड बुक बनाकर जमा किया है। करीब 20 दिन पूर्व राजस्व टीम पैमाइश करने गांव में गई थी, लेकिन दोनों परिवारों में सहमति न होने से पैमाइश नहीं हो पाई। पैमाइश के लिए राजस्व विभाग की टीम आने वाली थी। इसी बीच पूर्व ग्राम प्रधान लल्लन यादव की मौत हो गई। 25 नवंबर को उनका ब्रह्मभोज था, जिसमें शामिल होने के लिए रमेश यादव और कोकिलनंद यादव घर आए थे। मृतक रमेश के परिवार में पत्नी चंद्रावती देवी के अलावा दो बेटे अभिषेक 12, नितेश 10 वर्ष हैं, जबकि मृतक कोकिल यादव के परिवार में पत्नी रीता देवी के अलावा बेटा पियूष 10 व प्रियांशु पांच वर्ष हैं। स्वजन का रोते बिलखते बुरा हाल है। दो बार शांति भंग में हो चुकी है कार्रवाई

बरहज पुलिस ने शांति भंग के तहत दोनों पक्ष के दस-दस लोगों के खिलाफ पहली बार इस साल 24 जून व दूसरी बार 9 नवंबर को कार्रवाई की थी। दारोगा के खिलाफ स्वजन का फूटा गुस्सा

सगे भाइयों की हत्या से आहत स्वजन का गुस्सा दारोगा जितेंद्र सिंह के खिलाफ फूट पड़ा। आला अधिकारियों के सामने उन्होंने बरहज थाना के दारोगा पर कई गंभीर आरोप लगाए। डीआइजी को बताया कि 20 दिन पूर्व विवाद को लेकर थाने पर गए थे। दारोगा ने उनकी बात नहीं सुनी और डांट कर भगा दिया। यदि उनकी बात सुनी गई होती तो आज उनके दो जवान बेटों की हत्या नहीं हुई होती। डीआईजी रवींद्र ने स्वजन को जांच कर समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। दारोगा की भूमिका को लेकर गांव के लोग भी सवाल खड़ा कर रहे थे। पढ़े लिखे हैं दोनों परिवार

दोनों परिवार शिक्षित हैं। घर में शिक्षक से लेकर ग्राम प्रधान व पुलिस अफसर रहे हैं। आरोपित पक्ष के पारसनाथ यादव सेवानिवृत्त दारोगा व हंसनाथ यादव सेवानिवृत्त अध्यापक है, जबकि पीड़ित परिवार के स्व. लल्लन यादव सेवानिवृत्त शिक्षक व गांव के प्रधान रह चुके थे। इसको लेकर लोग भी चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग पर अड़े थे स्वजन, तीन घंटे बाद उठने दिया शव

जिला अस्पताल की इमरजेंसी में स्वजन ने दोनों भाइयों के शव का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। करीब तीन घंटे तक इमरजेंसी में शव पड़ा रहा। स्वजन मौके पर मुख्यमंत्री को बुलाने, आश्रितों को आर्थिक सहायता व आरोपितों को कड़ी सजा दिलाने की मांग कर रहे थे। सीओ श्रीयश त्रिपाठी व शहर कोतवाल अनुज कुमार सिंह ने लोगों को समझा बुझाकर शांत किया। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में सुबह 9.30 बजे घायलों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। इमरजेंसी में भाजपा जिलाध्यक्ष अंतर्यामी सिंह के अलावा समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष दिलीप यादव, विजय प्रताप यादव, अशोक यादव, हृदयानंद जायसवाल समेत तमाम नेता पहुंचे थे। पुलिस छावनी में तब्दील हुआ गांव

घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया है। इसको देखते हुए गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। सीओ देवानंद के नेतृत्व में बरहज, भलुअनी, मदनपुर, एकौना, मईल, खुखुंदू थाने की पुलिस के साथ ही पीएसी तैनात कर दी गई है, जबकि जिला अस्पताल में पुलिस अधीक्षक डा.श्रीपति मिश्र व एएसपी राजेश कुमार सोनकर ने पहुंचकर जानकारी ली। चीत्कार से गूंज उठी इमरजेंसी

स्वजन की चीत्कार से जिला अस्पताल की इमरजेंसी गूंज उठी। करुण क्रंदन से माहौल गमगीन हो गया। भीड़ के चलते करीब तीन घंटे तक इलाज कराने वाले मरीजों को परेशानी उठानी पड़ी।

chat bot
आपका साथी