पोखरे से बुझ रही पशु- पक्षियों की प्यास
-दो एकड़ में फैले पोखरे में भरा रहता है साल भर पानी - ग्राम पंचायत की आय का स्त्रोत बना पोखर
जागरण संवाददाता, मगहरा, देवरिया: भलुअनी विकास खंड के महुई मिश्र में बना पोखरा जल संचयन का सशक्त माध्यम बन गया है। जल संचयन से ग्राम सभा की आय भी बढ़ रही है। वर्ष भर लबालब पानी मे बेजुबान अपनी प्यास बुझा रहे हैं। हाल यह है कि गांव का भूगर्भ जल स्तर पहले से अच्छा हो गया है। 15 साल पहले गांव में हैंडपंप गर्मी के सीजन में सूख जाते थे, अब किसी के घर के हैंडपंप नहीं सूखते। यह सब वर्षा जल संचयन का कमाल है। इससे ग्रामीण भी पोखरे को लेकर जागरूक रहते हैं।
पोखरे का पुनरोद्धार करीब 15 वर्ष पहले तत्कालीन ग्राम प्रधान मन्नू मिश्र ने सरकारी बजट से कराया था। उन्होंने भरे पड़े पोखरे की खुदाई कराई तथा सुंदरीकरण कराया। चारो तरफ मेड़बंदी हो जाने से वर्षा जल का संचयन होने लगा, जिससे यह पोखरा वर्ष भर भरा रहता है। पोखरे से मत्स्य पालन से ग्राम पंचायत के आय में भी वृद्धि हो रही है। इस पोखरे में विभिन्न प्रकार के जलीय जीव भी हैं। ग्रामीण राकेश मिश्रा, विनोद मिश्रा, बिकाऊ प्रसाद आदि बताते हैं कि इस पोखरे के वजह से अब गांव के जल स्तर में काफी वृद्धि हो गयी है। इसका लाभ गांव की जनता को मिल रहा है।
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जल संकट भविष्य की सबसे बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए जल के स्त्रोतों जैसे पोखरे, तालाब, नदियों नालों, आदि का पुनरोद्धार आवश्यक है। पौधरोपण और भूजल के दोहन को रोकने के लिए कानून के साथ साथ जागरूकता की जरूरत है।
- डा. हवलदार अंसारी
पर्यावरणविद