छह माह से अस्पताल में जीवन रक्षक दवाएं नहीं
देवरिया जिला अस्पताल में मरीजों के जरूरी दवाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
देवरिया: जिला अस्पताल छह माह से दवाओं की कमी से जूझ रहा है। हाल यह है कि कई जीवन रक्षक दवाएं नहीं है। जिससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
सरकार व शासन की मंशा है कि अस्पतालों में मरीजों को निश्शुल्क इलाज मिले। लेकिन यहां गरीबों को इलाज के नाम पर रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। अस्पताल में दवाएं नहीं हैं ऐसे में मरीजों की बाहर से दवाएं खरीदना मजबूरी है।
मांग के अनुरूप नहीं हो रही दवाओं की आपूर्ति
दवाओं की आपूर्ति तकरीबन तीन वर्ष से कार्पोरेशन कर रहा है। जिला अस्पताल से दवाओं की डिमांड लखनऊ भेजी जाती हैं और वहां से डिमांड के अनुरूप जो दवा उपलब्ध रहती है उसे कार्पोरेशन उपलब्ध कराता है। हाल यह है कि डिमांड भेजी जा रही लेकिन कार्पोरेशन मांग के अनुरूप दवाएं उपलब्ध नहीं करा पा रहा है, जिससे संकट बढ़ गया है।
इन दवाओं व कोरोना सामग्री का अभाव
दवाओं में मेट्रोजिल सीरप, खुजली की दवा, आपरेशन में काम आने वाली एंटीबायोटिक, उल्टी, सांस की दवाओं के अलावा कोरोना जांच के दौरान प्रयुक्त होने वाली सामग्री मास्क, ग्लब्स व सैनिटाइजर का भी अभाव है। जिला अस्पताल प्रशासन प्रति माह लोकल खरीदारी कर काम चला रहा है। जिला अस्पताल 20 हजार तक की लोकल खरीदारी कर सकता है। बावजूद इसके दवाओं की मांग पूरी नहीं हो पा रही है। दवाओं को खरीद कर स्टाक में तो रखा गया है लेकिन वह सभी मरीजों को नहीं मिल रही हैं। मरीजों को अगर छह दवाएं डाक्टर ने लिखी हैं तो तीन से चार दवाएं ही दवा वितरण कक्ष से मिल रही हैं। अधिकांश जरूरी दवाएं हैं। जो नहीं हैं उनकी डिमांड कार्पोरेशन को भेजी जाती हैं। यह सही है कि कोरोना में प्रयुक्त होने वाले ग्लब्स, मास्क व सैनिटाइजर नहीं मिले हैं लोकल स्तर पर खरीदारी कर काम चलाया जा रहा है। जबकि इसके खर्चें ज्यादा हैं। हर रोज यहां कोरोना जांच के तीन काउंटर चल रहे हैं।
डा. एएम वर्मा,
सीएमएस
जिला चिकित्सालय