स्वयं को जानना ही आत्मज्ञान: चतुरानंद महाराज

क्षेत्र के नौतन में संतमत सत्संग के 110 वे महाधिवेशन के दूसरे दिन रविवार को प्रधान आचार्य महर्षि चतुरानंद महाराज ने कहा कि ज्ञान का तात्पर्य है जानना। भोजन करना सोना भयभीत होना और संतानोत्पत्ति करना यह ज्ञान मानव व पशुओं में समान रूप से पाया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 11:41 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 11:41 PM (IST)
स्वयं को जानना ही आत्मज्ञान: चतुरानंद महाराज
स्वयं को जानना ही आत्मज्ञान: चतुरानंद महाराज

देवरिया: क्षेत्र के नौतन में संतमत सत्संग के 110 वे महाधिवेशन के दूसरे दिन रविवार को प्रधान आचार्य महर्षि चतुरानंद महाराज ने कहा कि ज्ञान का तात्पर्य है जानना। भोजन करना, सोना, भयभीत होना और संतानोत्पत्ति करना, यह ज्ञान मानव व पशुओं में समान रूप से पाया जाता है। परन्तु आत्म ज्ञान का होना मनुष्य को पशुओं से अलग करता है। जिसका अर्थ होता है स्वयं को जानना या पहचानना।

कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि शरीर और उसके स्वामी जीवात्मा में काफी अंतर है। शरीर साधन है तो जीवात्मा उसका मालिक है। इन दोनों को पृथक करके जानना ही वास्तविक ज्ञान है। इन तथ्यों को आचार्य ने कबीर व तुलसी के दोहों और लघु कथाओं के द्वारा श्रद्धालुओं को समझाने का प्रयास किया। भजन कीर्तन से शुरू हुए सत्संग सभा में महामंत्री डा. परमानंद शाह ने कहा कि आज का विषय है योग युक्त ईश्वर भक्ति। संतमत सत्संग का आधार ज्ञान योग युक्त ईश्वर भक्ति है। ज्ञान का अर्थ है जानना और योग का तात्पर्य मिलने से है। स्वामी शाही शरण महाराज, स्वामी संतलाल महाराज, स्वामी पंचानंद महाराज, स्वामी प्रेमानंद महाराज, स्वामी लालदास महाराज प्रमुख रूप से अपने-अपने विचार रखे। प्रमुख आचार्य ने संतमत पत्रिका, संसार व परमार्थ, शाही स्वामी भजनावली का विमोचन किया और स्वामी सच्चिदानंद महाराज को दीक्षा प्रदान किया। इस दौरान सत्संग सभा के जिलाध्यक्ष उपेंद्र शाही, बाबु शाही, दूलारे, रमन सिंह, रमन सिंह, अशोक शाही, रंजन शाही, मारकंडेय शाही, सौरभ शाही आदि उपस्थित रहे। सभा का संचालन डा. अवधेश कुमार विश्वास ने किया। नौतन में उमड़े संत और भक्त

नौतन में देशभर से आए महान संतों व विद्वानों के ज्ञान वाणी से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। सत्संग स्थल पर 450 संत महात्माओं सहित दस हजार की संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं। जिसमें नेपाल से लेकर देश के कोने-कोने से महान संत, आचार्य व भक्त गण पधारे हैं। पूरे नौतन गांव के हर घरों में साधु-संत, भक्तगण ठहरे हुए हैं। सभी के भोजन के लिए महाभंडारे व रात्रि विश्राम का अनेकों स्थान पर प्रबंध मुख्य व्यवस्थापक व उपेंद्र शाही द्वारा किया जा रहा है।

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