रिटायर्ड आइएएस की सोच से वर्षा जल संचयन को मिला मुकाम

महेंद्र कुमार त्रिपाठी देवरिया पूर्व आइएएस अधिकारी महाराष्ट्र सरकार में अपर मुख्य सचिव र

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 12:00 AM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 12:00 AM (IST)
रिटायर्ड आइएएस की सोच से वर्षा जल संचयन को मिला मुकाम
रिटायर्ड आइएएस की सोच से वर्षा जल संचयन को मिला मुकाम

महेंद्र कुमार त्रिपाठी, देवरिया: पूर्व आइएएस अधिकारी महाराष्ट्र सरकार में अपर मुख्य सचिव रहे सतीश त्रिपाठी का प्रयास, मुंबई में रहने के बाद भी गांव के विकास में करते हैं योगदान, वर्षा जल संचयन के प्रति सोच व पहल रंग लाई है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भागलपुर विकास खंड के धरमेर गांव में तीन दशक से उपेक्षित करीब तीन हेक्टेयर भूभाग पर फैले जलाशय की दुर्दशा को आइएएसअफसर त्रिपाठी देख रहे थे, उस दौरान नौकरी की व्यस्तता के चलते इस ध्यान नहीं जाता था, जब 2008 में रिटायर हुए तो पैतृक गांव आने का सिलसिला तेज हो गया। इसके बाद उन्होनें सामुदायिक स्तर पर पोखरे की सूरत बदलने की कोशिश की। लेकिन पोखरे का क्षेत्रफल अधिक होने के कारण संसाधन आड़े आने लगा यह करते करीब साल बीत गए।

स्थानीय स्तर पर जब कहीं से कोई उपाय नहीं मिला तो उन्होंने नई दिल्ली में गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड के अफसरों से संपर्क कर जल संरक्षण के लिए सामाजिक दायित्व के तहत सहयोग मांगा। कंपनी के अफसर भी गांव की हालात को समझकर हामी भर दी। उसके बाद गेल कंपनी के अफसर अक्टूबर 2019 में आकर एक्शन प्लान बनाकर रिपोर्ट भेजा। उसके बाद दिसंबर 2020 में गेल व उनकी स्वयं सेवी संस्था सेतु संस्था के बीच एमओयू (मेमोरंडम आफ अंडरटेकिग) यानी समझौता हुआ। जिसके तहत पोखरे की खोदाई करने के साथ पोखरे का सुंदरीकरण किया जाएगा। उसके बाद मार्च 2020 में काम शुरू हो गया। पोखरे को नया जीवन मिल गया। इस वक्त हाल यह है कि पोखरे में वर्षा जल का संचयन होने से पानी लबालब भरा हुआ है। इस वक्त यह पोखरा मानो सागर की तरह दिख रहा है। पोखरे के एक छोर पर पुरखों का सती मंदिर है, हर रोज लोग सुबह -शाम सैर करने आते हैं। गांव की हालत यह थी कि पहले 60 फीट नीचे मिलता था, अब अब 30-40 फीट पर पानी उपलब्ध हो रहा है।

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गांव से मेरा लगाव है, नौकरी में था तो व्यस्तता थी, मुंबई में जरूर हूं। लेकिन गांव में पानी की समस्या को देखता था, उसके बाद पोखरे की बदहाली को दूर कराने की कोशिश की। भूगर्भ जल स्तर ठीक करने का एक मात्र उपाय है कि पोखरों व तालाबों को ठीक करना। उसी सोच के तहत वर्षा जल संचयन को लेकर पहल किया। लोगों का सहयोग मिला। गेल की मदद से पोखरे को नया जीवन मिला। इससे मन में खुशी होती है। गांव ही मूल है। मुंबई में शरीर है, मन गांव में बसता है। अभी पोखरे को पर्यटक स्थल बनाने की योजना है। कोरोना के चलते परेशानी है। महामारी खत्म होते ही इस काम में तेजी आएगी।

-सतीश त्रिपाठी

पूर्व आइएएस

पूर्व अपर मुख्य सचिव

महाराष्ट्र सरकार

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