देवरिया में बेहतर यातायात में संसाधनों की कमी व इच्छाशक्ति का अभाव सबसे बड़ी बाधा

देवरिया में एआरटीओ कार्यालय के पास नहीं है अपना भवन नहीं कर्मचारी भी काफी कम हैं पुलिस भी नहीं संभाल पा रही यातायात व्यवस्था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 11:31 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 11:31 PM (IST)
देवरिया में बेहतर यातायात में संसाधनों की कमी व इच्छाशक्ति का अभाव सबसे बड़ी बाधा
देवरिया में बेहतर यातायात में संसाधनों की कमी व इच्छाशक्ति का अभाव सबसे बड़ी बाधा

देवरिया: यातायात व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने में एक तरफ जहां संसाधनों की कमी है वहीं दूसरी तरफ इच्छाशक्ति की कमी सबसे बड़ी बाधा है। भ्रष्टाचार का घुन भी आम लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। जिसे दूर किए बिना सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है।

परिवहन विभाग के संसाधनों की बात करें तो एआरटीओ कार्यालय के पास अपना भवन नहीं है। किराए के भवन में संचालित हो रहा है। जगह के अभाव में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई वर्षों से कार्यालय भवन निर्माण के लिए दो एकड़ भूमि की तलाश की जा रही है, लेकिन अभी तक भूमि उपलब्ध नहीं हो पाई है।

वहीं यहां एआरटीओ प्रशासन व एआरटीओ प्रवर्तन के दो पद हैं, लेकिन एआरटीओ प्रवर्तन का पद जून 2018 से खाली है। जिसके चलते जांच की कार्रवाई कम होती है। इसी तरह लिपिक के 14 पद के सापेक्ष महज पांच लोग कार्यरत हैं। अनुचर का पद भी खाली है। पांच सिपाही की जगह तीन तैनात हैं।

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संसाधनों की कमी से जूझ रही यातायात पुलिस

यातायात पुलिस संसाधनों की कमी से जूझ रही है। यातायात निरीक्षक व यातायात उप निरीक्षक समेत 20 लोगों पर शहर की यातायात व्यवस्था की जिम्मेदारी है। फिलहाल दो दीवान तैनात किए गए हैं। शहर की विभिन्न सड़कों पर करीब दस हजार से अधिक वाहनों की आवाजाही प्रतिदिन होती है। ई-रिक्शा की संख्या भी पांच हजार से अधिक है। ऐसे में पीआरडी जवानों का भी सहयोग लिया जा रहा है। प्रशिक्षित न होने से अधिकतर पीआरडी जवान यातायात व्यवस्था संभाल नहीं पा रहे हैं। यातायात पुलिस को दो मोटरसाइकिल की आवश्यकता है, जो शहर में घूमकर जाम की समस्या से निजात दिला सकें।

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ड्राइविंग लाइसेंस:

लर्निंग डीएल के लिए प्रतिदिन आने वालों की संख्या: 225

स्थायी लाइसेंस के लिए प्रतिदिन आने वालों की संख्या: 90

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-विभाग के पास अपना कार्यालय भवन नहीं है। पद के सापेक्ष एक तिहाई कर्मचारी ही कार्य कर रहे हैं। जिससे काम प्रभावित हो रहा है। संसाधन उपलब्ध हो जाएं तो दिक्कतें कम हो जाएंगी।

राजीव चतुर्वेदी, एआरटीओ

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