भारतीय चितन के मूल में ही मानवाधिकार

देवरिया के संत विनोबा पीजी कालेज में मानवाधिकार को लेकर गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने पीड़ित को न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर ही न्याय मिलने की बात कही।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 11:45 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 11:45 PM (IST)
भारतीय चितन के मूल में ही मानवाधिकार
भारतीय चितन के मूल में ही मानवाधिकार

देवरिया: संत विनोबा पीजी कालेज में राजनीति शास्त्र विभाग के तत्वावधान में स्व.डा.बीडी मिश्र स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। जिसका विषय मानवाधिकार व भारतीय समाज रखा गया था।

दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय विधि विभाग के अध्यक्ष व डीन प्रो.जितेंद्र मिश्र ने कहा कि भारतीय चितन के मूल में ही मानवाधिकार है। जो लोग न्याय का दरवाजा नहीं खटखटा सकते, उनको न्याय कैसे मिलेगा? के पक्ष में खड़ा होना ही मानवाधिकार है। मानवाधिकार मनुष्य का अंतर्निहित अधिकार है। सत्य व न्याय के बारे में लिए माद्दा होना चाहिए, जैसा गांधी जी में था। 10 दिसंबर 1948 को स्वीकृत मानवाधिकार दिवस चार तत्वसार से संचालित होता है, अहिसा परमोधर्म:, वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवंतु सुखिन:, जियो और जीने दो।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने मां सरस्वती व डा.डीबी मिश्र के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। सरस्वती वंदना छात्रा विजय लक्ष्मी, आकांक्षा व रुबी मल्ल ने प्रस्तुत किया। डा.सत्यप्रकाश मणि, डा.भूपेश मणि, डा.वाचस्पति द्विवेदी, डा.अशोक सिंह, डा.उमेश दुबे, डा.मनोज मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया। प्राचार्य डा.नाजिश बानो, डा.ओमप्रकाश तिवारी, डा.असीम सत्यदेव, डा.ममता मणि ने संबोधित किया। अध्यक्षता अशोक मिश्र व संचालन डा.बृजेश पांडेय ने किया। जबकि डा.सच्चिदानंद शुक्ल, डा.अरविद कुमार सिंह, डा.सुधांशु शुक्ल, डा.राजेश मिश्र आदि मौजूद रहे।

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