सेहत से खिलवाड़: कागज में स्वास्थ्य समितियां
देवरिया में कोरोना वायरस से बचाव के लिए गांवों में कोई जागरूकता नहीं ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य समितियां कार्य नहीं कर रही हैं।
देवरिया: जिले के 1189 ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य समितियों का गठन किया गया है। इनका काम सिर्फ कागज में है। स्वास्थ्य समितियां लोगों की सेहत को लेकर कतई फिक्रमंद नहीं हैं और न ही सरकारी बजट से गांव में मच्छररोधी रसायनों का छिड़काव हो रहा है।
बजट आया और वित्तीय वर्ष के अंत तक आंकड़ों की बाजीगरी में खर्च कर दिया जाता है। कई ऐसी ग्राम पंचायतें हैं,जिनके खाते में धन पड़ा है। कोरोना वायरस को लेकर प्रशासन भले चौकस है लेकिन सच्चाई यह है कि यह जागरूकता सिर्फ शहर तक है। गांवों में लोगों को अभी भी इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं है।
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धन खर्च हो तो कुछ बात बने
ग्राम सभाओं में सरकार की तरफ से स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च करने के लिए 10 हजार रुपये दिए जाते हैं। यह ग्राम प्रधान व एनएम के हस्ताक्षर से खर्च किया जाता है। इसे मच्छरों से निजात के लिए छिड़काव, जागरूकता रैली, वजन मशीन खरीदने आदि पर खर्च करने होते हैं। मौजूदा समय में गांवों में इसे खर्च नहीं किया जा रहा है। गांवों में लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करने में आशा, एनएम व प्रधान लापरवाह बने हुए हैं।
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स्वयं सेवी संगठन भी पीछे
गांवों में स्वास्थ्य जागरूकता का दम भरने वाली स्वयंसेवी संस्थाएं भी कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करने में काफी पीछे हैं। शहर को छोड़ दिया जाए तो गांवों में स्वयंसेवी संगठन अभी तक सक्रिय नहीं हुई है। जिससे लोगों को इससे बचाव व लक्षण आदि की जानकारी मिल सके। गांवों की दलित बस्ती, ईट भट्ठा मजदूरों को कोरोना वायरस के बारे में कुछ पता नहीं है।
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सभी ग्राम पंचायतों को निर्देशित किया जा रहा है कि गांवों में लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करें। स्वास्थ्य समिति की धनराशि खर्च करने का यह सही समय है। उसका उपयोग करें। हम लोग प्रचार सामग्री भी छपवा रहे हैं जिसे गांवों में बांटा जाएगा। लगातार मीटिग कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
शिव शरणप्पा जीएन,
सीडीओ